महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार ने जारी किया शासनादेश...

Shinde-Fadnavis government issued mandate in Maharashtra...

महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार ने जारी किया शासनादेश...

राज्य की ‘ईडी’ यानी शिंदे-फडणवीस सरकार को गजब की सरकार कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस सरकार के हाल ही कुछ ऐसे हैं। असल में इस सरकार ने एक गजब का शासनादेश जारी किया है।

मुंबई : राज्य की ‘ईडी’ यानी शिंदे-फडणवीस सरकार को गजब की सरकार कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस सरकार के हाल ही कुछ ऐसे हैं। असल में इस सरकार ने एक गजब का शासनादेश जारी किया है। अगर इस शासनादेश का बारीकी से विश्लेषण किया जाए तो संदेश साफ है कि सरकार द्वारा लिए गए किसी भी विवादास्पद पैâसले की जिम्मेदारी न तो मुख्यमंत्री की है, न उपमुख्यमंत्री की है और न ही किसी मंत्री की है। सारे फैसले की जिम्मेदारी सचिवों की है।

दरअसल, इस सरकार ने एक गजब का शासनादेश जारी किया है। इस शासनादेश में सरकार ने कहा है कि हमारी यानी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों की टिप्पणियों को फाइनल नहीं माना जाए। सरकार ने यह शासनादेश जारी करके एक तरह से अपनी जिम्मेदारियों से जहां पल्ला झाड़ लिया है, वहीं इससे सचिवों का सिरदर्द बढ़ गया है। बता दें कि मुख्यमंत्री या अन्य मंत्री द्वारा ‘काम करिए’ या ‘धन स्वीकृत’ जैसी कुछ टिप्पणियां निवेदन पर लिखी जाती हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि काम हो जाएगा।

मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या मंत्री द्वारा निवेदन पर लिखी गई टिप्पणी को अंतिम न माना जाए। ऐसा आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों को जारी किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बार-बार कहते हैं कि राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार आने के बाद से काम और फैसलों की गति जारी है। यह सरकार जनता की है। यह सरकार लेनेवालों की नहीं, देनेवालों की है। इसके चलते सहयोगी जनप्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं, नागरिकों के आग्रह पर कई बार नियमों में न बैठनेवाली टिप्पणियां संबंधितों के ज्ञापन-पत्र पर लिख दी जाती हैं।

मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या मंत्रियों की टिप्पणियों वाले पत्र जब संबंधित विभागों के पास जाते हैं तो नए सवाल खड़े हो रहे हैं। मंत्रियों के आदेश के अनुसार नियमों में न बैठनेवाले आदेश जारी होने के बाद उनके क्रियान्वयन में दिक्कतें आ रही थीं। कुछ मामलों में कहीं मंत्री स्वयं परेशानी में न पड़ जाएं और अपने मंत्री पद को खोने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई में न उलझ जाएं। इसलिए मुख्यमंत्री की ओर से जारी सामान्य प्रशासन विभाग के इस नए आदेश के कारण किसी भी विवादास्पद पैâसले के कारण इस शासनादेश के बाद मंत्रियों की जान बच जाएगी।

मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रियों के कार्यालयों से टिप्पणी सहित प्राप्त होनेवाले आवेदन, निवेदन यह नियम, अधिनियम, सरकारी निर्णय और परिपत्र के अनुसार गुणवत्तापूर्ण जांच करके उसके परिणामकारक निपटारा किया जाए। इसमें किसी प्रकार की त्रुटि न रहे, इसकी सावधानी बरतने का निर्देश सभी अधिकारियों को दिया गया है।

आवेदन या निवेदन पर आदेश, टिप्पणी, नियम-कानून, सरकारी निर्णय में बैठता है, तभी मान्य किया जाए, नियम में न बैठनेवाले आवेदन को मंजूर न किया जाए, ऐसा निर्देश संबंधित विभाग के अधिकारियों को दिया गया है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्री की टिप्पणी को अंतिम न माना जाए, ऐसा आदेश में स्पष्ट किया गया है।

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