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जिले में कई बार बिजवायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पहले दिन ही हवा में उड़े गए Grape के नियम
Many times in the district, the rules of Grape were blown in the air on the very first day for the prevention of Bijavai Pollution.
जिले में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए शनिवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो गया। पहले दिन प्रदूषण विभाग की टीम नियमों का पालन कराने में नाकाम रही। शहर में बिजली आपूर्ति बाधित होने पर कई उद्योगों और सोसायटी में डीजल जेनरेटर चले।
उत्तर प्रदेश : जिले में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए शनिवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो गया। पहले दिन प्रदूषण विभाग की टीम नियमों का पालन कराने में नाकाम रही। शहर में बिजली आपूर्ति बाधित होने पर कई उद्योगों और सोसायटी में डीजल जेनरेटर चले।
चोरी छिपे कू़ड़ा जलाने, खुले में निर्माण सामग्री के कारण उड़ने वाली धूल, प्रदूषण फैला रहे वाहनों के चलने, सड़क मरम्मत कार्य के लिए डामर पिघलाने की मशीन चलने से निकले धुएं ने शहर की हवा में जहर घोल दिया। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स कई जगह पर मध्यम तो कई जगह पर खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जिला स्तर पर वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए 14 टीमें गठित हैं। टीमें को का काम दिन-रात प्रदूषण से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखना है। पहले दिन टीम के सदस्य दिशा निर्देशों का पालन करने की अपील तक सीमित रहे।
यही कारण रहा कि ग्रेप के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। सेक्टर-61 के पास सड़क मरम्मत कार्य के लिए डामर पिघलाने की मशीन घंटों चलने से निकल धुआं हवा में घुल गया। सेक्टर-62, सेक्टर-63, सेक्टर-64, सेक्टर-65 सहित अन्य जगह पर निर्माण सामग्री खुले में पड़ी रही।
ली कट होने से औद्योगिक इकाइयों में डीजल जनरेटर का प्रयोग हुआ। जबकि विभाग की ओर से औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष निगरानी का दावा किया गया था। आदेशों के उल्लंघन पर जुर्माना लगाने की बात थी। शहर में डीजल जनरेटर पूरी तरह प्रतिबंध लग गया है।
उद्योगों को केवल पीएनजी व बायोमास का इस्तेमाल करने की इजाजत है। इमरजेंसी सेवाओं जैसे अस्पताल, लिफ्ट के लिए जनरेटर चलाने की अनुमति है लेकिन वर्तमान में जिले में चल रहीं 95 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयों में बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद डीजल जनरेटर चलाया जाता है। 600 से ज्यादा सोसायटी में बिजली आपूर्ति के लिए विकल्प के रूप में डीजल जनरेटर का इस्तेमाल होता है।
बिजली के कट होने पर कुछ देर रहे उद्योग बंद रहे तो हाईराइज सोसायटी में लोग लिफ्ट नहीं चलने से परेशान हुए। शनिवार सुबह शहर का एक्यूआइ (वायु गुणवत्ता सूचकांक) मध्यम श्रेणी में दर्ज किया गया। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि ग्रेप नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एनजीटी के आदेशानुसार निर्माण स्थलों पर प्रदूषण नियंत्रण के माकूल इंतजाम होने चाहिए। निर्माण सामग्री पूरी तरह ढंकी होनी चाहिए, लेकिन शहर में कहीं भी निर्माण स्थल पर निर्माण सामग्री ढके में नहीं रखी गई है। सभी जगह ये खुले में ही पड़ी हुई है। इसकी वजह से सीमेंट और मिट्टी हवा के साथ दिनभर उड़ती रहती है, जो आबोहवा को जहरीला बना रही है। इसका असर लोगों को स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
कई जगह पर निर्माण स्थलों पर खानापूर्ति के लिए दिन में एक या दो बार पानी का छिड़काव किया गया। नियमित तौर पर पानी का छिड़काव नहीं होने से धूल उड़ती रही। शेड लगाए बिना धड़ल्ले से निर्माण कार्य चलने के कारण तोड़फोड और निर्माण के दौरान धूल उड़ती रही। शहर में जगह जगह खुले में मलबे के भी ढेर लगे हुए हैं, जो प्रदूषण का एक कारण है।
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