
विकसित भारत बनाने के लिए PM ने सेट किया टारगेट...भ्रष्टाचार खत्म करने के साथ परिवारवाद पर बोला हमला
PM sets target to make a developed India...with eradication of corruption, attacked familyism
लालकिले की प्राचीर से आज पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अगले 25 वर्षों का टारगेट दे दिया। उन्होंने न पाकिस्तान की बात की, न चीन की, भारत के स्वतंत्रता दिवस पर उनका पूरा भाषण देश की आन बान और शान के लिए समर्पित रहा।
नई दिल्ली: लालकिले की प्राचीर से आज पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अगले 25 वर्षों का टारगेट दे दिया। उन्होंने न पाकिस्तान की बात की, न चीन की, भारत के स्वतंत्रता दिवस पर उनका पूरा भाषण देश की आन बान और शान के लिए समर्पित रहा।
उन्होंने देशवासियों को उस वक्त के लिए आगे बढ़ने की बात कही जब देश 2047 में आजादी के 100 साल का जश्न मना रहा होगा। पीएम ने कहा कि अब हमें बड़ा लक्ष्य लेकर चलना होगा। विकसित राष्ट्र बनाने का सपना और इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं।
उन्होंने एकता, अनुसंधान, आत्मनिर्भरता, नई शिक्षा प्रणाली जैसे कई महत्वपूर्ण प्रयासों की बात की जिस पर चलकर देश विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। आइए जानते हैं पीएम ने अगले 25 वर्षों के लिए जो लक्ष्य दिया है उसकी 10 बड़ी बातें क्या हैं।
प्रधानमंत्री ने आज भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ने का भी आह्वान कर दिया। उनकी इस घोषणा के कई मायने निकाले जा रहे हैं। पीएम ने संकेत दे दिया है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर आगे बढ़ेगी और हाल के दिनों की तरह आगे भी ताबड़तोड़ ऐक्शन देखने को मिल सकते हैं।
इतना ही नहीं, पीएम ने इसे अपनी सांविधानिक और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी बताते हुए इस जंग में देशवासियों का साथ मांगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन दोनों विकृतियों का समय रहते समाधान नहीं किया गया तो यह विकराल रूप ले सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती है भ्रष्टाचार और दूसरी चुनौती है भाई-भतीजावाद... परिवारवाद। भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, तब यह दृश्य देखने को मिलते हैं कि एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है... दूसरी तरफ वे लोग हैं, जिनके पास अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है... यह स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है।
उन्होंने कहा कि जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट करके भाग गए, उनकी संपत्तियां जब्त करके वापस लाने की कोशिश जारी है। उन्होंने कहा, ‘कई लोगों को जेलों में जीने के लिए मजबूर करके रखा हुआ है... हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े... वह स्थिति हम पैदा करेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘वे अब बच नहीं पाएंगे...इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है और उन्हें इसके खिलाफ लड़ाई तेज करनी है व इसे निर्णायक मोड़ पर लेकर ही जाना है।
उन्होंने कहा, ‘मेरे 130 करोड़ देशवासी आप मुझे आशीर्वाद दीजिए, आप मेरा साथ दीजिए, मैं आज आपसे साथ मांगने आया हूं, आपका सहयोग मांगने आया हूं ताकि मैं इस लड़ाई को लड़ सकूं और इस लड़ाई को देश जीत पाए।’
भाई भतीजावाद और परिवारवाद पर प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की इस बुराई ने हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद कुपोषित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘परिवारवाद हमारी अनेक संस्थाओं को अपने में लपेटे हुए है और उसके कारण मेरे देश की प्रतिभा को नुकसान होता है। देश के सामर्थ्य को नुकसान होता है...भ्रष्टाचार का एक कारण परिवारवाद भी बन जाता है।’
उन्होंने कहा कि जब तक इसके खिलाफ नफरत पैदा नहीं होगी तब इन संस्थाओं को नहीं बचा पाएंगे। उन्होंने आह्वान किया, ‘हिंदुस्तान की राजनीति के शुद्धिकरण के लिए और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए भी... इस परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिलानी होगी। योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने की ओर हमें बढ़ना होगा। यह अनिवार्यता है।’
पीएम ने जोर देते हुए कहा कि हममें से कुछ लोग अब भी गुलामी की मानसिकता से नहीं निकल पाए हैं। इससे हटना होगा। देश की नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह धरती से जुड़ी हुई है, जिसमें कौशल पर बल दिया गया है और यह हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगी।
76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति...मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है। भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है।’
उन्होंने कहा कि इसमें हमने कौशल्य पर बल दिया है, यह ऐसा सामर्थ्य है जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हमारी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती हैं, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा, ‘हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।’
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