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मुंबई : सड़क कॉन्ट्रैक्टरों को 19,500 करोड़ का बकाया पेमेंट करने के लिए केंद्र सरकार से सप्लीमेंट्री डिमांड और बिना ब्याज वाले लोन के ज़रिए पैसे जुटाने की योजना

मुंबई : सड़क कॉन्ट्रैक्टरों को 19,500 करोड़ का बकाया पेमेंट करने के लिए केंद्र सरकार से सप्लीमेंट्री डिमांड और बिना ब्याज वाले लोन के ज़रिए पैसे जुटाने की योजना पैसे की तंगी से जूझ रही राज्य सरकार सड़क कॉन्ट्रैक्टरों को लगभग ₹19,500 करोड़ का बकाया पेमेंट करने के लिए केंद्र सरकार से सप्लीमेंट्री डिमांड और बिना ब्याज वाले लोन के ज़रिए पैसे जुटाने की योजना बना रही है। ₹19,502 करोड़ के बिल पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले दिए गए ₹46,000 करोड़ के सड़क बनाने के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा हैं।
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Maharashtra 

मुंबई: एमएलए फंड्स की निगरानी और पारदर्शिता के लिए 6 सदस्यीय सब कमेटी का गठन

मुंबई: एमएलए फंड्स की निगरानी और पारदर्शिता के लिए 6 सदस्यीय सब कमेटी का गठन महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। महायुति में एकनाथ शिंदे और एनसीपी के बीच बढ़ते टकराव के बीच एमएलए फंड्स की निगरानी और पारदर्शिता के लिए डिप्टी सीएम अजित पवार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय सब कमेटी का गठन किया है। यह फैसला महायुति गठबंधन में टकराव टालने के उद्देश्य से लिया गया है। 
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पुणे : गोखले संस्थान के सचिव धन के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार

पुणे : गोखले संस्थान के सचिव धन के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार प्रतिष्ठित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के फंड का जमीन खरीदने के नाम पर दुरुपयोग करने पर सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के सचिव को गिरफ्तार किया गया है। सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी जीआईपीई की मूल संस्था है। सचिव पर आरोप है कि उन्होंने जीआईपीई से जमीन खरीदने के लिए मिले फंड का गलत इस्तेमाल किया। संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार विशाल गायकवाड़ की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने सचिव मिलिंद देशमुख के खिलाफ कार्रवाई की। 
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मुंबई : निधि में ६७२ करोड़ रुपए की कटौती किए जाने के बाद मानव विकास के पहिए की रफ्तार धीमी 

मुंबई : निधि में ६७२ करोड़ रुपए की कटौती किए जाने के बाद मानव विकास के पहिए की रफ्तार धीमी  राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा दिल खोलकर खजाना लुटाए जाने के बाद अब महाराष्ट्र का आर्थिक विभाग तंगी से जूझ रहा है। उसका नतीजा यह हो रहा है कि महत्वपूर्ण विभागों के लिए भी सरकार के पास पैसे नहीं हैं। सरकार उन विभागों को जरूरत से कहीं कम निधि आवंटित कर रही है। राज्य की आम जनता के लिए महत्वपूर्ण माना जाने वाला मानव विकास विभाग भी इसी का हिस्सा बना है।
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