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Read More... मुंबई : गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी एनकाउंटर में 22 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई शुरू
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 2005 में गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी एनकाउंटर में मारे जाने के मामले में कई पुलिस अधिकारियों सहित सभी 22 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई शुरू की। सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबउद्दीन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह से न्याय का उल्लंघन था और इसमें "कई कमियां" थीं। सुनवाई के पहले दिन, रुबाबउद्दीन की ओर से पेश हुए वकील गौतम तिवारी ने अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ के सामने पूरी घटना का क्रम बताया। मुंबई : त्यौहारी सीजन में मिलावट खोरों के खिलाफ मुहिम; मिठाई की दुकानों, क्लाउड किचन, होटलों, दूध में मिलावट जैसी हर चीज की निगरानी करना चुनौतीपूर्ण
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महाराष्ट्र के खाद्य व औषधि प्रशासन (एफडीए) ने त्यौहारी सीजन में मिलावट खोरों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। लेकिन एफडीए अधिकारियों के कमी के कारण मिलावट पर अंकुश लगाने में प्रशासन असहज महशूस कर रहा है। एफडीए आयुक्त राजेश नार्वेकर का खुद मानना है कि राज्य में 1100 अधिकारियों की जरूरत है, जबकि फील्ड पर 130 ही कार्यरत हैं और 194 प्रशिक्षण ले रहे हैं। नार्वेकर के अनुसार एफडीए पिछले कुछ वर्षों से रेहड़ी-पटरी वालों और महिला बचत गुटों समूहों को प्रशिक्षण दे रहा है। सरकार के दावे को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका हाई कोर्ट ने बहाल की...
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HC ने अपनी याचिका को बहाल करने की मांग करने वाली केंद्र की एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए शर्तों के अधीन याचिका को बहाल कर दिया। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने 12 जनवरी को कहा, "रिट याचिका आज से चार सप्ताह के भीतर कार्यालय की आपत्तियों को हटाने की शर्त के अधीन बहाल की जाती है।" सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 पर सुनाएगा निर्णय... चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होगा फैसला
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अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि इस प्रावधान को निरस्त नहीं किया जा सकता था क्योंकि जम्मू और कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल 1957 में पूर्ववर्ती राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा था कि संविधान सभा के विलुप्त हो जाने से अनुच्छेद 370 को स्थायी दर्जा मिल गया है। केंद्र ने तर्क दिया था कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को रद्द करने में कोई "संवैधानिक धोखाधड़ी" नहीं हुई थी। 