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Mumbai 

हर कोई अपनी जाति और समुदाय के प्रति संवेदनशील है, लेकिन दूसरों के प्रति पारस्परिक सम्मान दिखाने में विफल रहता है - बॉम्बे हाई कोर्ट 

हर कोई अपनी जाति और समुदाय के प्रति संवेदनशील है, लेकिन दूसरों के प्रति पारस्परिक सम्मान दिखाने में विफल रहता है - बॉम्बे हाई कोर्ट  बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि आजकल हर कोई अपनी जाति और समुदाय के प्रति संवेदनशील है, लेकिन दूसरों के प्रति पारस्परिक सम्मान दिखाने में विफल रहता है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि हर सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्पणी या भाषण पर प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है और असहमति व्यक्त करने के और भी परिष्कृत तरीके हैं।
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Maharashtra 

पंकजा मुंडे ने कहा, प्रचार के दौरान उनकी जाति का जिक्र किया जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है...

पंकजा मुंडे ने कहा, प्रचार के दौरान उनकी जाति का जिक्र किया जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है... पंकजा मुंडे ने यह भी दावा किया कि मराठा आरक्षण आंदोलन का उनकी चुनावी संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. गोपीनाथ मुंडे (उनके पिता और दिवंगत बीजेपी नेता) ने कहा था कि मराठों को आरक्षण दिया जाना चाहिए. संभावना है कि ये काम मुझे ही पूरा करना होगा. उन्होंने कहा कि लोगों को झूठे प्रचार का शिकार नहीं होना चाहिए. ओबीसी के अधिकारों की रक्षा करते हुए मराठा समुदाय की रक्षा करना भी मेरा कर्तव्य है. उन्होंने दावा किया कि मैंने कभी भी जाति को लेकर राजनीति नहीं की है, इसलिए सभी समुदायों के लोगों को मुझ पर भरोसा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने ब‍िहार जात‍िगत सर्वेक्षण की सुनवाई के दौरान यह क्‍यों कहा...?

सुप्रीम कोर्ट ने ब‍िहार जात‍िगत सर्वेक्षण की सुनवाई के दौरान यह क्‍यों कहा...? बिहार सरकार ने अक्टूबर में 2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले अपने विवादास्पद जाति-आधारित सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक कर दिया था. जनगणना से पता चला कि अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) में राज्य की 63 प्रतिशत आबादी शामिल है. बिहार जात‍ि आधार‍ित गणना के रूप में भी जाना जाता है, जनगणना से पता चला है कि अनुसूचित जातियों का 13 करोड़ की आबादी का 19 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत बनाती है.
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मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव परिजनों को सौंपे गए... 6 की अब तक पहचान नहीं

मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव परिजनों को सौंपे गए... 6 की अब तक पहचान नहीं मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनके परिजनों को सौंप दिए गए। हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई, यानी की 6 शवों की पहचान नहीं हो पाई है।
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