मुंबई का जंबो वड़ा पाव फास्ट फूड ब्रान्ड्स को दे रहा है कड़ी टक्कर 

Mumbai's Jumbo Vada Pav is giving tough competition to fast food brands.

मुंबई का जंबो वड़ा पाव फास्ट फूड ब्रान्ड्स को दे रहा है कड़ी टक्कर 

वड़ा पाव पूरे देश में मशहूर है। मुंबईकरों का यह सबसे पॉपुलर नाश्ता है। मुंबई की हर गली में वड़ा पाव जरूर मिल जाएगा। आज हम जंबो वड़ा पाव की चर्चा कर रहे हैं। आइये जानते हैं जंबो वड़ा पाव की कैसे और किसने स्थापना की और कैसे मुंबई का ब्रांड बन गया। अभी तक आपने अमेरिकी फास्ट फूड ब्रान्ड्स बर्गर किंग, केएफसी और मैकडोनाल्ड के नाम सुने होंगे।

मुंबई : वड़ा पाव पूरे देश में मशहूर है। मुंबईकरों का यह सबसे पॉपुलर नाश्ता है। मुंबई की हर गली में वड़ा पाव जरूर मिल जाएगा। आज हम जंबो वड़ा पाव की चर्चा कर रहे हैं। आइये जानते हैं जंबो वड़ा पाव की कैसे और किसने स्थापना की और कैसे मुंबई का ब्रांड बन गया। अभी तक आपने अमेरिकी फास्ट फूड ब्रान्ड्स बर्गर किंग, केएफसी और मैकडोनाल्ड के नाम सुने होंगे। इन सबके बीच मुंबई का जंबो वड़ा पाव ऐसे ब्रांड को कड़ी टक्कर दे रहा है। मुंबई का वड़ा पाव वैसे भी देश-विदेश तक मशहूर है। 

 

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आमतौर पर मुंबई की हर गली में आपको वड़ा पाव की दुकान जरूर मिल जाएगी। यह यहां का लोकप्रिय नाश्ता है। मुंबईकरों का तो वड़ा पाव से सबेरा होता है। यह किसी लंच से भी कम नहीं है। मुंबई में जंबो किंग के कई आउटलेट्स खुले हुए हैं। आइये जानते हैं वड़ा पाव के बीच जंबो किंग कैसे मशहूर हो गया। 

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दरअसल, आज भी वड़ा पाव गरीबों को अपनी भूख मिटाने के लिए सबसे बड़ा कारगर हथियार है। वड़ा पाव को जंबो बनाने में धीरज गुप्ता का सबसे बड़ा योगदान है। न्यूज 18 में छपी खबर के मुताबिक, धीरज गुप्ता अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के बिजनेसमैन हैं। उनका परिवार होटल, केटरिंग और मिठाई के कारोबार में है। धीरज ने सिम्बायोसिस, पुणे से एमबीए किया। इसके बाद उन्होंने मिठाइयों को दुबई जैसे देशों में निर्यात करने की तैयारी की, यहां भारतीय लोगों की आबादी ज्यादा है, लेकिन ये प्लान सफल नहीं हुआ। धीरज को यह बिजनेस बंद करना पड़ा।

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साल 2001 में जंबो किंग की स्थापना
मिठाई के बिजनेस के बाद धीरज मुंबई के स्ट्रीट फूड बिजनेस की ओर रूख किया। मुंबई के उपनगरीय इलाके मलाड में उन्होंने चाट फैक्ट्री नाम से एक आउटलेट खोला। बिजनेस बढ़ा, तो पता चला कि सबसे ज्यादा बिकने वाला आइटम वड़ापाव ही है। बस, यहीं से जंबो किंग की शुरुआत हुई। 23 अगस्त 2001 में पहला स्टोर खोला और वड़ा पाव की कीमत 5 रुपये रखी। ये वे दौर था, मुंबई की सड़कों पर वड़ा पाव 2 रुपये का मिलता था। लेकिन जंबो वड़ा पाव 2 रुपये के वड़ा पाव से तीन गुना बड़ा था। आज भी जंबो वड़ा पाव फुटपाथ पर मिलने वाले वड़ा पाव से काफी बड़ा है। इसलिए इसे जंबो वड़ा पाव कहा गया।

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Sabri Human Welfare Foundation Ngo

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