केरळ उच्च न्यायालय ने मंदिरों में राजनीति पर लगाई पाबंदी
Kerala High Court bans politics in temples
केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला — मंदिरों में अब कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं होगी। कोर्ट ने देवस्थान बोर्ड को आदेश दिया कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखें और राजनीतिक उपयोग पर पूरी तरह रोक लगाएँ।
कोच्चि: केरळ उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मंदिरों के परिसर में किसी भी राजनीतिक गतिविधि, प्रचार या प्रचार संबंधी कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायालय ने त्रावणकोर, कोचीन और मलबार देवस्थान बोर्ड (Devaswom Boards) को इस दिशा में कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
निषेधात्मक निर्देशों का विस्तृत विवरण
याचिकाकर्ता एन. प्रकाश द्वारा दाखिल याचिका के आधार पर फरवरी में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें कोझिकोड के ताली मंदिर, अटिंगल के श्री इंदिलयप्पन मंदिर और कोल्लम के कडक्कल देवी मंदिर परिसर में राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी दी गई थी। अदालत ने इसे धार्मिक स्थलों के प्रति भाविकों की भावनाओं का उल्लंघन बताया और इन गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
दुरुपयोग निवारण अधिनियम की शक्ति
मलबार देवस्थान बोर्ड ने यह तर्क दिया कि मंदिरों में पारंपरिक पूजा, विधि और संस्कारों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करना न्यायालय की ज़िम्मेदारी नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि "Religious Institutions (Prevention of Misuse) Act, 1988" के तहत मंदिर परिसर को राजनीतिक उपयोग से बचाना अनिवार्य है और इस अधिनियम के उल्लंघन पर जुर्माना किया जा सकता है। इस प्रकार, मंदिरों के राजनीतिक उपयोग पर रोक कानूनन भी बाध्यकारी है।
राजनीतिक गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मंदिरों और उनके परिसर का उपयोग किसी भी राजनीतिक दल, आंदोलन या प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा। साथ ही, धार्मिक संस्थानों की निधियों का किसी राजनीतिक गतिविधि में उपयोग करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

