नई दिल्ली : कर्नाटक में काम करने के घंटे 9 से बढ़कर ओवरटाइम सहित 12 हो जाएंगे
New Delhi: Working hours in Karnataka will increase from 9 to 12 including overtime
एक तरफ दुनिया 4 दिन के वर्किंग कल्चर की ओर बढ़ रही है और काम के घंटों को कम करके कर्मचारियों के तनाव को कम करने पर चर्चा हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के एक राज्य में डेली वर्किंग ऑवर को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्लान है। हम बात कर्नाटक की कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट, 1961 में संशोधन करने जा रही है। अगर ये बदलाव हो गए, तो कर्नाटक में काम करने के घंटे 9 से बढ़कर ओवरटाइम सहित 12 हो जाएंगे।
नई दिल्ली : एक तरफ दुनिया 4 दिन के वर्किंग कल्चर की ओर बढ़ रही है और काम के घंटों को कम करके कर्मचारियों के तनाव को कम करने पर चर्चा हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के एक राज्य में डेली वर्किंग ऑवर को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्लान है। हम बात कर्नाटक की कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट, 1961 में संशोधन करने जा रही है। अगर ये बदलाव हो गए, तो कर्नाटक में काम करने के घंटे 9 से बढ़कर ओवरटाइम सहित 12 हो जाएंगे।
12 घंटे तक हो जाएगी शिफ्ट
दरअसल कर्नाटक सरकार चाहती है कि राज्य में काम करने वाली सभी कर्मचारी अब 12 घंटे तक ऑफिस में काम करें। सरकार का मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी। हालांकि कर्नाटक के कर्मचारी संगठन इससे इत्तिफाक नहीं रखते। कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ यानी केआईटीयू ने इस कदम का विरोध किया है। बुधवार को श्रम विभाग की बैठक में भी ट्रेड यूनियनों ने प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात रखी। संगठनों का कहना है कि इससे एक तिहाई वर्कफोर्स समाप्त हो जाएगा।
कर्मचारियों से एकजुट होने की अपील
केआईटीयू ने स्टेट इमोशनल वेलबीइंग रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए कहा है कि 25 वर्ष से कम आयु के 90 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर्मचारी चिंता से पीड़ित हैं और सरकार की कोशिश कर्माचरियों को छोड़कर कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने की है। ट्रेन यूनियनों ने लोगों से प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया है।
दुनिया में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर हो रही चर्चा कर्नाटक में आकर वर्क-ऑवर बैलेंस पर खड़ी हो गई है। सोशल मीडिया पर भी कर्नाटक सरकार को इस प्रस्ताव के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी रही है। कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ यानी केआईटीयू ने इस कदम का विरोध किया है। बुधवार को श्रम विभाग की बैठक में भी ट्रेड यूनियनों ने प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात रखी। संगठनों का कहना है कि इससे एक तिहाई वर्कफोर्स समाप्त हो जाएगा।
कर्मचारियों से एकजुट होने की अपील
केआईटीयू ने स्टेट इमोशनल वेलबीइंग रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए कहा है कि 25 वर्ष से कम आयु के 90 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर्मचारी चिंता से पीड़ित हैं और सरकार की कोशिश कर्माचरियों को छोड़कर कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने की है। ट्रेन यूनियनों ने लोगों से प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया है।
दुनिया में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर हो रही चर्चा कर्नाटक में आकर वर्क-ऑवर बैलेंस पर खड़ी हो गई है। सोशल मीडिया पर भी कर्नाटक सरकार को इस प्रस्ताव के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी रही है।
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