नई दिल्ली:  फालतू बेकार पड़ी जमीनों से कमाई करेगा रक्षा मंत्रालय

New Delhi:  Defence Ministry will earn money from unused land

  नई दिल्ली:  फालतू बेकार पड़ी जमीनों से कमाई करेगा रक्षा मंत्रालय

देश में सबसे बड़े जमीन मालिक रक्षा मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है अपने पास मौजूद जमीनों का बेहतर उपयोग कैसे किया जाए। रक्षा मंत्रालय चाहता है कि बिना उपयोग की फालतू पड़ी जमीनों से पैसे कमाए जाएं। उसने इसके लिए सेना और दूसरे संबंधित पक्षों से उपाय सुझाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि बेकार पड़ी ज़मीन का और क्या-क्या इस्तेमाल हो सकता है।

नई दिल्ली: देश में सबसे बड़े जमीन मालिक रक्षा मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है अपने पास मौजूद जमीनों का बेहतर उपयोग कैसे किया जाए। रक्षा मंत्रालय चाहता है कि बिना उपयोग की फालतू पड़ी जमीनों से पैसे कमाए जाएं। उसने इसके लिए सेना और दूसरे संबंधित पक्षों से उपाय सुझाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि बेकार पड़ी ज़मीन का और क्या-क्या इस्तेमाल हो सकता है। पेड़-पौधे लगाने से लेकर, सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए जमीन को लीज पर देने, या फिर औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों के विस्तार तक, कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया, 'हमने सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं।'
 
रक्षा मंत्रालय के पास 17 लाख एकड़ से भी ज्यादा जमीन है। यह जमीन सेना के लिए आवास, प्रशिक्षण और उनके दूसरे जरूरी कामों के लिए है। लेकिन इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है। इसमें कई ऐसी जगहें भी शामिल हैं जहां पहले निशानेबाजी का अभ्यास होता था या परीक्षण किए जाते थे, लेकिन शहरों के फैलाव के कारण अब उनका इस्तेमाल नहीं हो पाता।
सरकार इस फालतू जमीन से पैसे कमाकर सेना के आधुनिकीकरण के लिए एक खास फंड बनाना चाहती है। 15वें वित्त आयोग ने इस पर विचार किया था। रक्षा मंत्रालय ने सुझाव दिया था कि सैन्य फार्म बंद होने के बाद 20 हजार एकड़ जमीन फालतू हो गई है। यह जमीन दूसरे सरकारी विभागों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दी जा सकती है।
 
इसके अलावा 8,000 एकड़ जमीन ऐसे हवाई अड्डों और कैंपों पर है जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा। इस जमीन से भी पैसे कमाए जा सकते हैं। 1,243 एकड़ रक्षा भूमि पर अवैध कब्जा है। इस जमीन की कीमत लगभग 10 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। हमारे सहयोगी अखबार द इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने 2021 में प्रस्ताव दिया था कि इस जमीन से कमाए गए पैसों का केवल आधा हिस्सा ही सेना को दिया जाए और बाकी भारत की संचित निधि में जमा हो।
 
रक्षा मंत्रालय ने 2020 में जमीन हस्तांतरण के नियमों में भी बदलाव किया था। इससे देशभर में 'ईक्वल वैल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर' के बदले जमीन की अदला-बदली की जा सकती है। मतलब, सरकारी कंपनियों को जमीन देकर, उसके बदले में सेना के लिए घर बनाने जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए पैसे जुटाए जा सकते हैं।