मुंबई: मजदूरी से आत्मनिर्भरता तक का सफर; महिलाएं प्रतिदिन 2,000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं 

Mumbai: From labour to self-reliance; women earning up to Rs 2,000 per day

मुंबई: मजदूरी से आत्मनिर्भरता तक का सफर; महिलाएं प्रतिदिन 2,000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं 

कभी खेतों में मजदूरी कर 200-300 रुपये प्रतिदिन कमाने वाली महिलाएं अब किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की मदद से आत्मनिर्भर बन रही हैं। छत्रपति संभाजीनगर के ग्रामीण इलाके, विशेष रूप से करमाड क्षेत्र की महिलाओं का जीवन एफपीओ के चलते पूरी तरह बदल चुका है। अब ये महिलाएं कृषि प्रसंस्करण इकाइयों में काम कर प्रतिदिन 2,000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं।

मुंबई: कभी खेतों में मजदूरी कर 200-300 रुपये प्रतिदिन कमाने वाली महिलाएं अब किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की मदद से आत्मनिर्भर बन रही हैं। छत्रपति संभाजीनगर के ग्रामीण इलाके, विशेष रूप से करमाड क्षेत्र की महिलाओं का जीवन एफपीओ के चलते पूरी तरह बदल चुका है। अब ये महिलाएं कृषि प्रसंस्करण इकाइयों में काम कर प्रतिदिन 2,000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं। करमाड में मक्का और प्याज की सुखाने व प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना ने महिलाओं को वित्तीय स्थिरता दी है। ये इकाइयां होटलों और खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों को उत्पादों की आपूर्ति कर रही हैं। 

 

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मक्का प्रसंस्करण इकाई में काम करने वाली पद्मजा वेदपाठक के अनुसार, वे सप्ताह में सातों दिन काम करती हैं और रोजाना लगभग तीन टन मक्का का प्रसंस्करण कर 2,000 रुपये तक कमाती हैं। पहले उन्हें खेतों में दिनभर की मेहनत के बाद केवल 300 रुपये मिलते थे। यह बदलाव उनके पारिवारिक जीवन में सकारात्मक असर लाया है। एफपीओ की एक सदस्य प्रभावती पडुल के अनुसार, उनका संगठन 2020 में स्थापित हुआ था। वे बाजार से अतिरिक्त मक्का खरीदते हैं और उसे पोल्ट्री फीड, तेल और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए संसाधित करते हैं। वे 18 रुपये प्रति किलो की दर से मक्का खरीदकर 25-26 रुपये में बेचते हैं, जिससे प्रति किलो करीब 7 रुपये का मुनाफा होता है। 

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सौर ऊर्जा से प्याज सुखाने की इकाई से भी रोजगार
हिवरा गांव में महिलाएं सौर ऊर्जा से संचालित प्याज सुखाने की इकाई चला रही हैं। यहां काम करने वाली रेखा पोफले कहती हैं कि वे प्रतिदिन 500 रुपये कमाती हैं। उन्होंने बताया कि अब मेरे पास पैसे हैं, मैं अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूं। मेरे पोते-पोतियां अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ रहे हैं। हमने कर्ज चुकाया, पैसे बचाए और यहां तक कि सोना भी खरीदा।  

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नाबार्ड और महात्मा फुले संस्था की भूमिका
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जिला विकास प्रबंधक सुरेश पटवेकर ने बताया कि नाबार्ड ने जिले में महिलाओं के एफपीओ स्थापित करने में सहायता की है और अब तक करीब 1,500 महिलाएं इनसे जुड़ी हैं। ये एफपीओ टमाटर, प्याज, अदरक और मक्का का प्रसंस्करण कर रहे हैं। पटवेकर ने बताया कि क्षेत्र में तीन एफपीओ सक्रिय हैं और इनके माध्यम से 1,000 से अधिक सब्जी निर्जलीकरण इकाइयां संचालित हो रही हैं। नाबार्ड इन महिलाओं को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, तकनीकी जानकारी और बाजार उपलब्धता के लिए सहयोग करता है। महात्मा फुले एकात्मिक समाज मंडल के सतत विकास प्रमुख कैलाश राठौड़ ने बताया कि उन्होंने पहले जल संरक्षण परियोजनाओं पर काम किया, फिर किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से एफपीओ की स्थापना की। महाराष्ट्र में अब तक 32 एफपीओ बनाए जा चुके हैं जिनसे करीब 10,000 किसान जुड़े हैं। 

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