मुंबई : दो महीने पहले टिकट रिग्रेट; हवाई टिकटों के दाम आसमान छूने से गांव जाना मुश्किल
Mumbai: Regret ticket two months ago; difficult to go to village due to skyrocketing air ticket prices
मिशन यात्रा की पहली सीरीज में हमने बताया था कि किस तरह से दो महीने पहले टिकट रिग्रेट हो गईं और हवाई टिकटों के दाम आसमान छूने से गांव जाना मुश्किल हो रहा है। आज हम आपको बताते हैं कि 4 दिनों तक लाइन में लगे रहने के बावजूद कन्फर्म टिकट नहीं मिलने पर एक कारपेंटर ने क्या किया।
मुंबई : मिशन यात्रा की पहली सीरीज में हमने बताया था कि किस तरह से दो महीने पहले टिकट रिग्रेट हो गईं और हवाई टिकटों के दाम आसमान छूने से गांव जाना मुश्किल हो रहा है। आज हम आपको बताते हैं कि 4 दिनों तक लाइन में लगे रहने के बावजूद कन्फर्म टिकट नहीं मिलने पर एक कारपेंटर ने क्या किया। हालांकि यह सिर्फ एक कारपेंटर की ही व्यथा नहीं है, जाने कितने लोग हैं जो अपना काम-काज छोड़कर टिकट की लाइन में दो, तीन, चार दिन तक खड़े रहते हैं और उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाता।
रेलवे नहीं, अब दलाल पर भरोसा
गोंडा निवासी शहाबुद्दीन मुंबई में कारपेंटर हैं। शहाबुद्दीन 16 मार्च को सीएसएमटी स्थित आरक्षण केंद्र पर इस उम्मीद से आए थे कि दूसरे दिन लाइन शुरू होते ही उन्हें दो महीने बाद की कन्फर्म टिकट मिल जाएगी। शहाबुद्दीन जब लाइन में लगे, तक वे 12वें या 13वें नंबर पर थे। 17 मार्च को काउंटर पर वे तीसरे-चौथे नंबर थे। इस स्थिति में कन्फर्म टिकट मिलना नामुमकिन है। 20 मार्च को शहाबुद्दीन लाइन में पहले नंबर पर पहुंच गए, क्योंकि वे लगातार चार दिन से किस्मत आजमा रहे थे। शहाबुद्दीन ने बताया कि 21 मार्च को भी दो महीने बाद की टिकट उन्हें कन्फर्म नहीं मिली। अब वे घाटकोपर में किसी दलाल के पास जाएंगे, जिसने कन्फर्म टिकट दिलाने का वादा किया है।
मुंबई में आमतौर पर सभी पैसेंजर रिजर्वेशन काउंटर (पीआरएस) पर जो लाइनें लगतीं हैं, उनमें पहले दस लोगों को ही कन्फर्म या आरएसी टिकट मिलने की गुंजाइश रहती है। सीएसएमटी के एक बुकिंग काउंटर पर यदि बुकिंग क्लर्क की स्पीड अच्छी रही, तो 15-17 सेकंड में एक टिकट बन जाता है। पहले 35 सेकेंड में यदि टिकट बुक हो गई, तो ठीक वरना सारी मेहनत बेकार हो जाती है। जिन लोगों को कन्फर्म टिकट मिल जाता है, वे लाइन से हटते जाते हैं और जो वेटिंग में रह गए, उन्हें लाइन में आगे बढ़ने का मौका मिलता है। शहाबुद्दीन के साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया।
लाइन में लगे लोगों ने बताया कि रात करीब 9 बजे एक सुरक्षाकर्मी उनकी फोटो निकालकर ले जाता है। सुबह 7 बजे तक 3-4 बार फोटो खींची जाती है, ताकि वास्तविक लोगों को ही मौका मिले। एक यात्री ने बताया कि काउंटर पर पहुंचने से पहले आधार कार्ड की कॉपी इत्यादि भी ली जाती है। काउंटर पर सुबह 7:55 बजे तक भेज दिया जाता है। सीएसएमटी पर पांच काउंटर हैं। रातभर लाइन में लगे दस लोगों को 'गोल्डन पीरियड' का लाभ मिलने की उम्मीद रहती है। एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेलवे में करीब 7,400 पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) हैं। सुबह लगभग 8 बजे काउंटर खुलते हैं।
पीक सीजन में हमेशा देशभर में सबसे ज्यादा डिमांड यूपी और बिहार जाने वाली ट्रेनों की होती है। ऐसे में मान लिया जाए कि करीब 5 हजार काउंटर पर एक ही वक्त में एक साथ एक ही दिशा में जाने के लिए लोग प्रयास कर रहे हैं। इस स्थिति में कन्फर्म टिकट मिलने की जितनी संभावना बचती है, उसी संभावना के कारण शहाबुद्दीन को चार दिनों तक इंतजार करने के बाद भी कन्फर्म टिकट नहीं मिला।
टिकट काउंटर के अलावा लोग ऑनलाइन टिकट भी बुक करते हैं। रेलवे डेटा के अनुसार, पीक टाइम में करीब 30 लाख लोग आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर टिकट के लिए लॉगिन करते हैं। इनके अलावा 13,000 से 14,000 के बीच आईआरसीटीसी के आधिकारिक ऐजेंट हैं, जिनके पास टिकट बनाने के लिए अलग से लॉगिन आईडी होता है।

