मुंबई में 60 लाख की रिश्वत के लिए बिजनेसमैन को पूरी रात बंधक बनाने का आरोप... CGST अफसर समेत 3 अरेस्ट
Accused of holding a businessman hostage overnight for a bribe of Rs 60 lakh in Mumbai... 3 arrested including a CGST officer

सीबीआई ने बताया कि इस मामले में कथित रूप से रिश्वत की रकम में से 30 लाख रुपये की राशि हवाला के जरिए पहले भुगतान की गई। फिर 20 लाख रुपये नकद रिश्वत के रूप में लिए गए। जिसकी शिकायत सीबीआई से की गई। सीबीआई ने एक्शन लेते हुए मौके से तीन आरोपी दबोच लिए। सीबीआई ने बताया कि इस मामले में शिकायत मिलने पर सीबीआई ने 5 सितंबर को मुंबई सीजीएसटी के छह अधिकारियों समेत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
मुंबई : सीबीआई ने मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीजीएसटी मुंबई वेस्ट कमिश्नरेट के एक सुपरिटेंडेंट और एक सीए समेत तीन आरोपियों पर कार्रवाई की है। उन्हें कथित रूप से 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने बताया कि इस मामले में पीड़ित बिजनेसमैन को सांताक्रूज स्थित सीजीएसटी ऑफिस में 4 सितंबर की पूरी रात रोका गया था। उन्हें रिहा करने की एवज में कथित रूप से 80 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। जो की बाद में 60 लाख रुपये में तय हुई।
सीबीआई ने बताया कि इस मामले में कथित रूप से रिश्वत की रकम में से 30 लाख रुपये की राशि हवाला के जरिए पहले भुगतान की गई। फिर 20 लाख रुपये नकद रिश्वत के रूप में लिए गए। जिसकी शिकायत सीबीआई से की गई। सीबीआई ने एक्शन लेते हुए मौके से तीन आरोपी दबोच लिए। सीबीआई ने बताया कि इस मामले में शिकायत मिलने पर सीबीआई ने 5 सितंबर को मुंबई सीजीएसटी के छह अधिकारियों समेत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने बताया कि जिन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें सीजीएसटी कमिनश्नरेट मुंबई वेस्ट के अडिश्नल कमिश्नर दीपक कुमार शर्मा, सुपरिटेंडेंट सचिन गोकुलका, सुपरिटेंडेंट बिजेंद्र जनावा, सुपरिटेंडेंट निखिल अग्रवाल, सुपरिटेंडेंट नितिन कुमार गुप्ता, जाइंट कमिश्नर राहुल कुमार और चार्टर्ड अकाउंटेंट राज अग्रवाल समेत निजी शख्स अभिषेक मेहता शामिल हैं।
सीबीआई ने बताया कि आरोप है कि गोरेगांव (वेस्ट) मुंबई इलाके में रहने वाला पीड़ित बिजनेसमैन जब 4 सितंबर की शाम को सीजीएसटी ऑफिस सांताक्रूज गए। वहां उन्हें पूरी रात कार्यालय में एक तरह से बंधक बनाकर रखा गया। करीब 18 घंटे बाद अगले दिन सुबह 5 सितंबर को उन्हें रिहा किया गया। आरोप है कि इस दौरान पीड़ित शिकायतकर्ता से एक आरोपी सुपरिटेंडेंट (रिश्वत लेने वाले) ने उन्हें गिरफ्तार ना करने के लिए कथित रूप से 80 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। जिसे बाद में घटाकर 60 लाख रुपये कर दिया गया।
आगे यह भी आरोप है कि उक्त सुपरिटेंडेंट के तीन अन्य सहयोगियों (सभी सीजीएसटी के सुपरिटेंडेंट) ने भी शिकायतकर्ता पर दबाव डालने में उसका साथ दिया। इसमें पीड़ित के खिलाफ रातभर बार-बार बल प्रयोग किया गया और उन्हें गालियां भी दी गईं। कथित तौर पर शिकायतकर्ता को सीजीएसटी अधिकारियों की ओर से उन्हें गिरफ्तार ना करने और सीजीएसटी की जारी जांच में उनका पक्ष लेने के लिए अनुचित लाभ की मांग के बारे में बताने के लिए कथित तौर पर बंधक बनाए रखने के दौरान पीड़ित को उनके चचेरे भाई को फोन करने के लिए मजबूर किया गया।