उल्हासनगर में नियमों की उड़ रही सरेआम धज्जियां... बिना कत्लखाने के चल रहा है अवैध मांस बिक्री का व्यवसाय

Rules are being openly flouted in Ulhasnagar... Illegal meat selling business is going on without slaughter house.

उल्हासनगर में नियमों की उड़ रही सरेआम धज्जियां... बिना कत्लखाने के चल रहा है अवैध मांस बिक्री का व्यवसाय

उल्हासनगर में मांस विक्रेता खुले आम जानवरों का कत्ल कर उनका मांस बेच रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि जानवरों को काटने के बाद उसके खून, अन्य अवशेष का क्या किया जाता है?

उल्हासनगर : उल्हासनगर में एक भी वैध कत्लखाना नहीं है। इतना ही नहीं उल्हासनगर में पशु चिकित्सक तक नहीं हैं। ऐसी स्थिति में सैकड़ों बकरे काटे जाते हैं। पशु चिकित्सक के अभाव में सैकड़ों जानवर, जो बीमार हैं, उन्हें सस्ती दरों पर खरीदकर काटे जाने की चर्चा आम लोगों के बीच हो रही है।

ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर उल्हासनगर का स्वास्थ्य विभाग जानवरों के स्वास्थ्य परिक्षण के बिना उन्हें काटने की इजाजत कैसे दे रहा है? उल्हासनगर में मांस विक्रेता खुले आम जानवरों का कत्ल कर उनका मांस बेच रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि जानवरों को काटने के बाद उसके खून, अन्य अवशेष का क्या किया जाता है?

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अन्य मनपा में कत्लखाने में काटे गए जानवरों के खून व अन्य अवशेष को बंद वाहन से ले जाया जाता है। परंतु उल्हासनगर में ऐसी किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। उल्हासनगर में जब नगरपालिका थी उस समय अलग जगह पर कत्ल खाने का बाजार हुआ करता था। लेकिन आज बिना किसी डर के किसी भी जगह पर मांस बेचा जा रहा है।

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मांस को कपड़े से ढंककर रखने के नियम हैं। जबकि उल्हासनगर में खुले में मांस बिक्री शुरू है। खुले में लटकाई गई मांस पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। उल्हासनगर में किसी भी मांस विक्रेता पर नियमों की अवहेलना करने पर कार्रवाही शायद ही की गई हो? उल्हासनगर में दो नंबर ओटी, आजाद नगर, शहद फाटक जैसी तमाम जगहों पर मांस बेचने के नियमों की धज्जियां उड़तीं देखी जा सकती हैं।

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उल्हासनगर को मनपा का दर्जा मिले २६ वर्ष होने के बाद भी महानगर पालिका अधिनियम अभी तक लागू नहीं हो सका है, जिसकी मिसाल है उल्हासनगर मनपा। परिसर में मांस बिक्री का व्यवसाय बिना किसी रोक-टोक के बिंदास चल रहा है। उल्हासनगर मनपा में अज्ञानी लोगों को स्वास्थ्य विभाग की बागडोर देने के कारण अधिकारियों की अनदेखी का ही नतीजा है कि यहां मांस बिक्री का व्यवसाय चल रहा है।

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इसके चलते शहर में बदबू की भरमार अर्थात वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। मांस बेचनेवाले नियमों को ताक पर रखकर मांस बिक्री कर रहे हैं। मांस बिक्री व्यवसाय के चलते शहर में किस तरह से नियमों की अवहेलना हो रही है, इसका खुलासा `दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर राजेश पवार ने किया है।

बता दें कि उल्हासनगर में एक भी वैध कत्लखाना नहीं है। इतना ही नहीं उल्हासनगर में पशु चिकित्सक तक नहीं हैं। ऐसी स्थिति में सैकड़ों बकरे काटे जाते हैं। पशु चिकित्सक के अभाव में सैकड़ों जानवर, जो बीमार हैं, उन्हें सस्ती दरों पर खरीदकर काटे जाने की चर्चा आम लोगों के बीच हो रही है।

ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर उल्हासनगर का स्वास्थ्य विभाग जानवरों के स्वास्थ्य परिक्षण के बिना उन्हें काटने की इजाजत कैसे दे रहा है? उल्हासनगर में मांस विक्रेता खुले आम जानवरों का कत्ल कर उनका मांस बेच रहे हैं।

सवाल यह भी उठ रहा है कि जानवरों को काटने के बाद उसके खून, अन्य अवशेष का क्या किया जाता है? अन्य मनपा में कत्लखाने में काटे गए जानवरों के खून व अन्य अवशेष को बंद वाहन से ले जाया जाता है। परंतु उल्हासनगर में ऐसी किसी तरह की व्यवस्था नहीं है।