फार्मासिस्ट कोल्हे की हत्या के आरोपी को जमानत देने से कोर्ट का इनकार...

Court refuses to grant bail to the accused of murder of pharmacist Kolhe...

फार्मासिस्ट कोल्हे की हत्या के आरोपी को जमानत देने से कोर्ट का इनकार...

विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने 10 नवंबर को पारित आदेश में कहा कि आरोपी मुशिफिक अहमद के खिलाफ अपराध की कथित साजिश में शामिल होने के संबंध में पर्याप्त सामग्री है. अदालत ने अभियोजन एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा लगाए गए आरोपों और आरोप पत्र में उसके द्वारा प्रस्तुत सामग्री को जोड़ते हुए कहा, ‘‘अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का है.’’

अमरावती : मुंबई की एक विशेष अदालत ने पिछले साल अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि आवेदक अपराध की साजिश में शामिल था, इसे दिखाने के लिए विशिष्ट आरोप और सामग्री हैं. कोल्हे ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट साझा की थी.

कोल्हे की 21 जून, 2022 को मुंबई से लगभग 650 किलोमीटर दूर स्थित पूर्वी महाराष्ट्र के अमरावती शहर में हत्या कर दी गई थी. विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने 10 नवंबर को पारित आदेश में कहा कि आरोपी मुशिफिक अहमद के खिलाफ अपराध की कथित साजिश में शामिल होने के संबंध में पर्याप्त सामग्री है. अदालत ने अभियोजन एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा लगाए गए आरोपों और आरोप पत्र में उसके द्वारा प्रस्तुत सामग्री को जोड़ते हुए कहा, ‘‘अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का है.’’

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अदालत ने कहा, ‘‘सामग्री की समग्रता पर विचार करते हुए अपराध में आवेदक (अहमद) की भूमिका जाहिर होती है. ऐसा साबित करने के लिए विशिष्ट आरोप और सामग्री हैं कि आवेदक ने अपराध की साजिश में शामिल था और सह-अभियुक्त व्यक्तियों की सहायता की थी.’’ न्यायाधीश ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि अहमद के खिलाफ आरोप ‘‘स्वाभाविक रूप से असंभव या पूरी तरह अविश्वसनीय’’ हैं. अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘‘यह मानने के उचित आधार हैं कि आवेदक के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं.’’

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अहमद ने जमानत का अनुरोध करते हुए अपनी याचिका में दावा किया कि उसे मामले में फंसाया गया है और उसने कथित अपराध में कोई भूमिका नहीं निभाई है. उसने कहा कि वह एक स्थानीय मस्जिद का इमाम और एक सामाजिक कार्यकर्ता है. एनआईए ने याचिका का विरोध किया और दावा किया कि अहमद मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था और उसने मामले में अन्य सह-आरोपियों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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