भारत में टीबी के मरीजों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक...
The number of TB patients in India is much higher than in other countries.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष २०२२ में दुनिया में सबसे अधिक टीबी के मामले भारत में थे, जो वैश्विक बोझ का २७ फीसदी था। पिछले साल भारत में लगभग २८ लाख लोग टीबी की बीमारी के शिकार हुए हैं।
मुंबई : विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में टीबी के मरीजों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष २०२२ में दुनिया में सबसे अधिक टीबी के मामले भारत में थे, जो वैश्विक बोझ का २७ फीसदी था। पिछले साल भारत में लगभग २८ लाख लोग टीबी की बीमारी के शिकार हुए हैं।
इनमें कुल टीबी के मरीजों में आधे से ज्यादा संख्या पुरुष मरीजों की है। रही बात मृत्यु की तो बीते साल टीबी के कारण लगभग १३ लाख लोगों की मौत हो गई। भारत के अलावा टीवी के शीर्ष आठ उच्च बोझ वाले देशों में इंडोनेशिया (१० प्रतिशत), चीन (७.१ प्रतिशत), फिलीपींस (७.० प्रतिशत), पाकिस्तान (५.७ प्रतिशत), नाइजीरिया (४.५ प्रतिशत), बांग्लादेश (३.६ प्रतिशत) और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (३.० प्रतिशत) शामिल हैं। इन देशों में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस के रोगियों को मिलाकर दुनियाभर का ६० फीसदी आंकड़ा होता है। देश में टीबी के मरीजों की संख्या में संतोषजनक कमी नहीं होने से इस बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टीबी के मरीज पहले से कुछ कम तो हैं, लेकिन साल २०३५ तक देश से इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि अक्सर लोग तब आते हैं, जब तकलीफ बढ़ जाती है, शुरू में दिखाने पर यह हो सकता है कि बीमारी को ठीक किया जा सके, देर से दिखाने पर इलाज भी लंबा चलता है।
वर्ष २०२० से २०२२ के बीच कोविड १९ के प्रभाव के परिणामस्वरूप करीब हजारों लोगों की मौत टीबी से हो गई, जो सामान्य दर्ज आंकड़ों से अधिक थी। इसके साथ एचआईवी पीड़ितों के लिए टीबी मौत का सामान्य कारक भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, २०२२ में टीबी के कारण लगभग ३ लाख ४२ हजार लोगों की मौत हुई थी। इसमें से ३ लाख ३१ लोग एचआईवी नेगेटिव थे और ११ हजार लोगों को एचआईवी संक्रमण था। मरनेवाले रोगियों में से बहुत लोगों को टीबी का सही इलाज नहीं मिला और कुछ को समय पर इलाज नहीं मिल पाया।

