शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज दरअसल हिंदू राष्ट्र की ही सोच, सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान

Shivaji Maharaj Hindavi Swaraj Was Concept Of Hindu Rashtra Said Shivaji Maharaj Hindavi Swaraj Was Concept Of Hindu Rashtra Said RSS Chief Mohan Bhagwat At Nagpur Maharashtra

शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज दरअसल हिंदू राष्ट्र की ही सोच, सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान

सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज दरअसल हिंदू राष्ट्र की ही सोच थी. उन्होंने कहा कि भारत में इस्लाम सुरक्षित है.

छत्रपति शिवाजी महाराज का जो हिंदवी स्वराज था, वो दरअसल हिंदू राष्ट्र की ही सोच थी. यानी शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज से मतलब हिंदू राष्ट्र से था. यह बात छत्रपति शिवाजी महाराज के 350 वें राज्याभिषेक दिवस से एक दिन पहले यानी कल गुरुवार को मोहन भागवत ने कही. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा के कार्यक्रम में सरसंघचालक ने नागपुर में रेशीमबाग मैदान पर अपने भाषण के दौरान यह कहा. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मोहन भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.... RSS Chief Mohan Bhagwat At Nagpur....

संजय राउत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का अंगरक्षक मुस्लिम था, उनके तोपखाने का प्रमुख मुस्लिम व्यक्ति था. छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी कोई ‘हेट स्पीच’ नहीं दी. उनका हिंदवी स्वराज उससे अलग था जैसा आज हिंदू राष्ट्र की कल्पना की जा रही है. संजय राउत की प्रतिक्रिया से यह साफ होता है कि उन्होंने मोहन भागवत का पूरा भाषण ध्यान से सुना नहीं है. उन्होंने लापरवाही से एक पत्रकार के इस सवाल का जवाब दे दिया कि मोहन भागवत ने शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज की तुलना हिंदू राष्ट्र की संकल्पना से कर दी है.

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दरअसल मोहन भागवत अपने कल के भाषण में हिंदू मुस्लिम एकता की बात कर रहे थे.मोहन भागवत ने कहा कि विवाद की बजाए आज संवाद ज्यादा जरूरी है. अपनी विविधता कभी फूट की नहीं एकता की वजह बने. इस्लाम भारत में सुरक्षित है. कुछ संप्रदाय बाहर से आए थे. उन्हें लाने वाले बाहर के लोगों से हमारी लड़ाइयां हुईं. बाहर से जो आक्रमणकारी आए थे, वे चले गए हैं. अब जो देश में हैं, वे बाहरी नहीं, अपने ही हैं.

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मोहन भागवत ने कहा कि, जो देश के मुसलमान हैं उन्हें अपना ही समझकर हम उनसे अच्छा व्यवहार रखें. वे भी बाहर से अपने संबंध भुलाकर यहां के होकर रहें. मोहन भागवत ने कहा कि अगर उनके विचारों में कोई कमी रह गई है तो उन्हें समझाना और प्रबोधन करना हमारी जिम्मेदारी है. हमारा अहंकार और भूतकाल का बोझ हमें एक होने से भयभीत करता है.

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सरसंघचालक ने कहा कि उन्हें लगता है कि अगर हम इस तरह से एक होकर घुलते-मिलते हैं तो हमारी पहचान और संस्कृति मिट जाएगी. अलग पहचान किसको चाहिए? यहां स्वतंत्र पहचान नहीं है. भारत में स्वतंत्र पहचान सुरक्षित है. लेकिन बाहर जाने पर अगर आप अपने देश की मूल पहचान भूल जाएंगे तो आपका सुख से जीवन बसर करना मुश्किल होगा. विवाद की बजाए हम संवाद को अहमियत दें.हमारी विविधता फूट की नहीं बल्कि एकता की वजह बने. ‘प्रार्थना की पद्धति भले ही अलग, पर देश हमारा यही, यह रहे स्पष्ट’

मोहन भागवत ने आगे कहा कि, प्रार्थना की पद्धति हमारी भले ही अलग होगी, पर हम इसी देश के हैं. हमारे पूर्वज यहीं के थे. हम यह वास्तविकता क्यों स्वीकार नहीं कर सकते? हिंदू-मुसलमानों के बीच शांति और ऐकता पिछली कई सदियों से कायम रही है. जो आक्रमणकारी थे, वे अपने मूल ठिकानों पर लौट चुके हैं.अब भारत में इस्लाम सबसे ज्यादा सुरक्षित है.... RSS Chief Mohan Bhagwat At Nagpur...

इन सबके अलावा मोहन भागवत ने राजनीतिक दलों को भी यह सलाह दी कि, भारत में लोकतंत्र होने की वजह से राजनीतिक मतभेद, सत्ता के लिए प्रतिस्पर्द्धा, एक दूसरे पर टीका-टिप्पणियां तो होंगी ही, लेकिन सत्ता पाने के लिए जनता के बीच फूट पैदा ना हो, यह विवेक कायम रहे.... RSS Chief Mohan Bhagwat At Nagpur...