नागपुर से जो आदेश आएगा... वह बेचारे शिंदे को मानना ही पड़ता है - शरद पवार
Poor Shinde has to obey the order that comes from Nagpur - Sharad Pawar
राज्य में स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं का चुनाव लगातार आगे धकेला जा रहा है। राज्य सरकार में लोगों के सामने जाने की ताकत नहीं है। कर्नाटक के चुनाव में लड़ते हुए मित्रपक्षों से हमने बात नहीं की, क्योंकि हमें वहां शून्य से शुरुआत करनी थी। वहां दलित अल्पसंख्यक, लिंगायत ऐसे सभी समाजों को मौका देने का प्रयोग किया गया है। हमने सभी सहयोगी दलों को वहां बोलने की छूट दी है। इसलिए किसी की आलोचना करनी है तो वह कर सकता है।
मुंबई : भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं और भाजपा पर नागपुर का संस्कार है। नागपुर में आदेश देने की संस्कृति है। यहां सब कुछ आदेश पर चलता है। इसलिए वहां से जो आदेश आएगा, वह बेचारे शिंदे को मानना ही पड़ता है। ऐसी जोरदार टिप्पणी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कल सतारा में की। उन्होंने कहा कि सत्ता मिली नहीं, लोगों ने नकारा है। लेकिन सत्ता और पैसे का उपयोग कर लोगों को फोड़ने और सत्ता पाने का भाजपा का फॉर्मूला रहा है।
उन्होंने कहा कि पद्मभूषण डॉ. कर्मवीर भाऊराव पाटील की ६४वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित ‘रायत शिक्षण संस्था’ के कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में किसान संकट में है और मुख्यमंत्री कर्नाटक में चुनावी प्रचार कर रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा बजरंगबली का नाम लेकर वोट मांगने पर उन्होंने कहा कि बतौर जनप्रतिनिधि शपथ लेने के बाद जाति-धर्म के नाम पर वोट मांगना गलत है। पीएम मोदी ने कर्नाटक में बजरंगबली का नाम लेकर उस शपथ का उल्लंघन किया है।
राज्य में स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं का चुनाव लगातार आगे धकेला जा रहा है। राज्य सरकार में लोगों के सामने जाने की ताकत नहीं है। कर्नाटक के चुनाव में लड़ते हुए मित्रपक्षों से हमने बात नहीं की, क्योंकि हमें वहां शून्य से शुरुआत करनी थी। वहां दलित अल्पसंख्यक, लिंगायत ऐसे सभी समाजों को मौका देने का प्रयोग किया गया है। हमने सभी सहयोगी दलों को वहां बोलने की छूट दी है। इसलिए किसी की आलोचना करनी है तो वह कर सकता है। उसका एनसीपी पर कोई बुरा परिणाम नहीं पड़ेगा। हर राजनीतिक पक्ष की भूमिका अलग-अलग होती है उसकी नीति अलग होती है। कुछ बातें आगे-पीछे हो सकती हैं। लेकिन महाविकास आघाड़ी पर इसका कोई परिणाम नहीं होगा।

