राज्य के १८ जिलों में लड़कियों की संख्या में कमी...
There is a decrease in the number of girls in 18 districts of the state.
महाराष्ट्र में साल २०२१ में १,००० पुरुषों की तुलना में ९०६ महिलाएं हैं। बुलढाणा जिले का लिंगानुपात सबसे कम है। बुलढाणा में एक हजार लड़कों के पीछे सिर्फ ८६५ लड़कियां हैं। सिंधुदुर्ग जिले का लिंगानुपात ९५१ है, जो राज्य में सर्वाधिक है। वर्धा और गढ़चिरौली में ३२, चंद्रपुर में २५ और यवतमाल में २३ की वृद्धि हुई है। हम लगातार माता जीजाऊ, सावित्री बाई फुले के महाराष्ट्र की बात कर रहे हैं।
मुंबई : महाराष्ट्र में लड़कों की तुलना में लड़कियों का अनुपात कम हो रहा है। राज्य के १८ जिले लड़कों और लड़कियों के अनुपात में आए इस अंतर से जूझ रहे हैं। बताया गया है इसमें सबसे ऊपरी पायदान पर बुलढाना जिला है। बताया गया है कि महाराष्ट्र के ३५ जिलों में से १८ जिलों में लड़कियों की संख्या में कमी, जबकि १७ जिलों में वृद्धि हुई है।
साल २०२० में प्रति हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या ९१३ थी, वहीं साल २०२१ में यह संख्या घटकर ९०६ रह गई है। साल २०२० की तुलना में २०२१ में इसमें सात की कमी आई है। यह जानकारी सेंटर फॉर बजट स्टडीज द्वारा जारी रिपोर्ट से सामने आई है। ज्ञात हो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या संबंधित देश, राज्य, जिले के लिंगानुपात से मापी जाती है।
महाराष्ट्र में साल २०२१ में १,००० पुरुषों की तुलना में ९०६ महिलाएं हैं। बुलढाणा जिले का लिंगानुपात सबसे कम है। बुलढाणा में एक हजार लड़कों के पीछे सिर्फ ८६५ लड़कियां हैं। सिंधुदुर्ग जिले का लिंगानुपात ९५१ है, जो राज्य में सर्वाधिक है। वर्धा और गढ़चिरौली में ३२, चंद्रपुर में २५ और यवतमाल में २३ की वृद्धि हुई है। हम लगातार माता जीजाऊ, सावित्री बाई फुले के महाराष्ट्र की बात कर रहे हैं।
इसी प्रगतिशील महाराष्ट्र में लड़कियों की संख्या लगातार घट रही है। साल २०११-१२ में लड़कियों का लिंगानुपात ९२९ था, वहीं साल २०२०-२१ में यह घटकर ९०६ हो गया है। कुछ जिलों में यह अनुपात बहुत कम हो गया है। यह अनुपात उत्तर के राज्य से भी कम हो गया है। यदि हम इस ओर ध्यान नहीं देते हैं तो महाराष्ट्र सबसे कम लड़कियों वाला राज्य बन जाएगा। हालांकि, इस पर ‘ईडी’ सरकार थोड़ा भी गंभीर नहीं है। सेंटर फॉर बजट स्टडीज के विश्लेषक रूपेश कीर ने अपील की है कि यह एक दुखद घटना है और सरकार और समाज को इस बारे में सोचना चाहिए।

