मुंबई मेंआवारा कुत्तों की दहशत...रोजाना लगभग १५० से अधिक मुंबईकर खूंखार कुत्तों का हो रहे शिकार
The menace of stray dogs in Mumbai... More than 150 Mumbaikars are falling prey to ferocious dogs every day.
मुंबई में आवारा कुत्तों की दहशत इस कदर बढ़ गई है कि इनके आतंक से मुंबईकर खौफ में जी रहे हैं। मनपा आवारा कुत्तों के उपद्रव को रोकने के लिए कई उपाय कर रही है, बावजूद इसके कोई सफलता हाथ नहीं लग रही है। यही कारण है कि रोजाना लगभग १५० से अधिक मुंबईकर खूंखार कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में १,१२,७६९ लोगों को कुत्तों ने काटा है। फिलहाल, मनपा के सामने आवारा कुत्तों के खतरे को खत्म करने की चुनौती पैदा हो गई है।
मुंबई : मुंबई में आवारा कुत्तों की दहशत इस कदर बढ़ गई है कि इनके आतंक से मुंबईकर खौफ में जी रहे हैं। मनपा आवारा कुत्तों के उपद्रव को रोकने के लिए कई उपाय कर रही है, बावजूद इसके कोई सफलता हाथ नहीं लग रही है। यही कारण है कि रोजाना लगभग १५० से अधिक मुंबईकर खूंखार कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में १,१२,७६९ लोगों को कुत्तों ने काटा है। फिलहाल, मनपा के सामने आवारा कुत्तों के खतरे को खत्म करने की चुनौती पैदा हो गई है।
आवारा कुत्तों के उपद्रव को रोकने के लिए मनपा द्वारा नसबंदी किए जाने के साथ ही रेबीज के इंजेक्शन लगाने जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके बाद भी आवारा कुत्तों का आतंक कायम है। खासतौर पर रात के समय शांत मुद्रा में बैठे ये आवारा कुत्ते राहगीरों पर अचानक झपट्टा मारकर उन्हें काट लेते हैं। ऐसे में काम पर से देर रात घर लौटने वाले कर्मचारियों में काफी डर है।
साल २०१४ में जब मनपा ने मुंबई में कुत्तों की गणना की थी तो यहां इनकी संख्या २,९६,२२१ थी। बताया गया है कि नसबंदी न होने पर मादा कम से कम चार बच्चों को जन्म देती है, इसलिए मुंबई में कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस पृष्ठभूमि में न्यायालय के निर्देशानुसार और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार मनपा द्वारा प्रति वर्ष ३० फीसदी कुत्तों की नसबंदी की जा रही है।
मुंबई में आवारा कुत्तों के उपद्रव को रोकने के लिए साल २०१४ से दिसंबर २०२२ तक ३,८८,४२९ कुत्तों की नसबंदी की गई। आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने के लिए मनपा ने चार ‘डॉग वैन’ खरीदी हैं। मॉनिटरिंग समिति द्वारा नसबंदी पर निगरानी रहती है। ये चार डॉग वैन मुलुंड, मालाड, महालक्ष्मी और बांद्रा में तैनात हैं। जख्मी कुत्तों को पकड़कर देवनार के पशु अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। अधिकारी ने बताया कि सात दिनों तक जांच के बाद अगर स्थिति स्थिर रहती है तो उन्हें वापस उस स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें लाया हुआ रहता है।

