हिंदी प्रचार के लिए ५.७८ करोड़ रुपए की हेराफेरी... एफआईआर दर्ज
Misappropriation of Rs 5.78 crore for Hindi promotion... FIR lodged
भारत सरकार के माध्यम से डीबीएचपीएस को मिली मान्यता के बाद हिंदी के प्रचार के लिए मुहैया कराए गए धन की हेरा-फेरी कर केंद्र को चूना लगाया। जांच में पता चला है कि २००४-०५ से २०१६-१७ के दौरान डीबीएचपीएस, धारवाड़ ने ६०० शिक्षकों के माध्यम से हिंदी प्रचार के लिए ५.७८ करोड़ रुपए की हेराफेरी की थी।
मुंबई : भारत सरकार के माध्यम से डीबीएचपीएस को मिली मान्यता के बाद हिंदी के प्रचार के लिए मुहैया कराए गए धन की हेरा-फेरी कर केंद्र को चूना लगाया। जांच में पता चला है कि २००४-०५ से २०१६-१७ के दौरान डीबीएचपीएस, धारवाड़ ने ६०० शिक्षकों के माध्यम से हिंदी प्रचार के लिए ५.७८ करोड़ रुपए की हेराफेरी की थी। इस राशि को अनधिकृत रूप से बी.एड कॉलेज के कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया।
जानकारी के अनुसार कर्नाटक के धारवाड़ में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपीएस) के एक पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा धन की कथित हेराफेरी का मामला सामने आया है। इस मामले में सीबीआई ने कल एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई के अधिकारियों ने इसके बारे में जानकारी दी है। इस मामले में डीबीएचपीएस के पूर्व अध्यक्ष शिवयोगी निरलकट्टी और अन्य अज्ञात कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है।
एफआईआर के मुताबिक, निरलकट्टी द्वारा धारवाड़ में हिंदी को बढ़ावा देने के नाम पर आयुर्वेद, होम्योपैथी, लॉ कॉलेजों और अंग्रेजी माध्यम के पाठ्यक्रमों जैसे अन्य पाठ्यक्रमों को चलाकर सरकार द्वारा दिए गए वित्त का दुरुपयोग किया गया। इस तरह निरलकट्टी ने डीबीएचपीएस मानदंडों के निर्धारित उद्देश्यों का उल्लंघन किया था। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि पूर्ववर्ती केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने इस संस्थान के लिए फंड जारी किया था।
उस समय डीबीएचपीएस के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष शिवयोगी आर निरलकट्टी ने कथित रूप से गबन किया गया था। अनुदान का यह हेर-फेर २००४-०५ से २०१६-१७ की अवधि के दौरान किया गया। जानकारी के मुताबिक, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा धारवाड़ शाखा ने विभिन्न हिंदी शिक्षकों, हिंदी शिक्षक, प्रशिक्षण महाविद्यालयों के प्राचार्यों आदि को मानदेय देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुदान मांगा था।
उनके अनुरोधों पर योजना में शामिल कुल खर्च का ७५ प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदान किया था, जबकि शेष २५ प्रतिशत को डीबीएचपीएस को स्वयं द्वारा वहन करना था। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि मामले के आरोपियों ने अपने एकाउंट के विवरण को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और केंद्र सरकार को झूठे बयान दिए। पूछताछ में पता चला कि शिक्षकों को अनुदान वितरण के नाम पर खाते से ७.४४ करोड़ रुपए की भारी निकासी हुई थी। गौरतलब है कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का मुख्यालय चेन्नई में है। यह संस्थान दक्षिण भारत के गैर-हिंदी भाषी लोगों के बीच हिंदी साक्षरता में सुधार के लिए काम करता है।

