पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत सभ्य समाज में सबसे खराब अपराधों में से एक - बांबे हाई कोर्ट

Death of a person in police custody one of the worst crimes in a civilized society - Bombay High Court

पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत सभ्य समाज में सबसे खराब अपराधों में से एक - बांबे हाई कोर्ट

पुलिस हिरासत में मौत सभ्य समाज में सबसे खराब अपराधों में से एक है। पुलिस सत्ता की आड़ में नागरिकों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित नहीं कर सकती। बांबे हाई कोर्ट ने कहा कि सभ्य समाज में पुलिस की हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत सबसे खराब अपराधों में से एक है। पुलिस किसी को अमानवीय तरीके से दंड नहीं दे सकती।

मुंबई: पुलिस हिरासत में मौत सभ्य समाज में सबसे खराब अपराधों में से एक है। पुलिस सत्ता की आड़ में नागरिकों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित नहीं कर सकती। बांबे हाई कोर्ट ने कहा कि सभ्य समाज में पुलिस की हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत सबसे खराब अपराधों में से एक है। पुलिस किसी को अमानवीय तरीके से दंड नहीं दे सकती।

पुलिस को अपराध पर लगाम लगाने के लिए अधिकार दिए गए हैं, लेकिन यह निरंकुश नहीं हो सकती। लोगों की जान की रक्षा की जिम्मेदारी राज्य की है। अगर उसके कर्मचारी ऐसा करते हैं, तो ऐसे नागरिकों को मुआवजा देना होगा। फैसले में यह भी कहा गया कि उक्त शक्ति के प्रयोग की आड़ में वे किसी नागरिक के साथ अमानवीय तरीके से अत्याचार या व्यवहार नहीं कर सकते।

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हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक शख्स की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में की और महाराष्ट्र सरकार को पीड़ित परिवार को 15 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच की जज जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस अभय वाघवासे की पीठ ने यह आदेश एक याचिका पर दिया।

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याचिका में सुनीता कूटे ने आरोप लगाया था कि उसके 23 वर्षीय बेटे प्रदीप की मौत दो पुलिसकर्मियों द्वारा की गई पिटाई से हुई है। ये दोनों सोलापुर पुलिस से संबंधित हैं। याचिका में कूटे ने 40 लाख रुपये के मुआवजे के साथ ही आरोपित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की थी।

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कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने नागरिकों के जीवन का रक्षक है और अगर उसका कर्मचारी सत्ता की आड़ में अत्याचार करता है, तो उसे ऐसे नागरिक को मुआवजा देना होगा। पीठ ने कहा कि इस मामले में पीड़ित 23 वर्षीय व्यक्ति था, जिसने अपनी मृत्यु से ठीक चार महीने पहले शादी की थी। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को पीड़िता की मां को 15,29,600 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

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याचिका के अनुसार, प्रदीप गन्ना काटने का काम करता था। नवंबर 2018 में जब वह ट्रैक्टर से जा रहा था, तो पुलिस ने उसे रोक लिया। पुलिसकर्मियों ने बज रहे गाने पर उसकी और ट्रैक्टर पर मौजूद अन्य लोगों की पिटाई शुरू कर दी। उसके साथ मौजूद लोग भाग निकले लेकिन घायल होने के कारण प्रदीप की मौके पर ही मौत हो गई।

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