मुंबई में गणेशोत्सव पर जीएसटी का असर...
Impact of GST on Ganeshotsav in Mumbai
कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में जीवन ठप-सा हो गया था। अब जब स्थिति नियंत्रण में है तो दो साल बाद रौनक लौट आई है। पर्व-त्योहार उल्लास से मनाया जा रहा है, परंतु कमरतोड़ महंगाई के कारण आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है।
मुंबई : कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में जीवन ठप-सा हो गया था। अब जब स्थिति नियंत्रण में है तो दो साल बाद रौनक लौट आई है। पर्व-त्योहार उल्लास से मनाया जा रहा है, परंतु कमरतोड़ महंगाई के कारण आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है।
ऊपर से जीएसटी ने हर चीज की कीमतों में आग लगा दी है। गणेशोत्सव पर इसका असर साफ देखा जा सकता है। इस बार विघ्नहर्ता पर जीएसटी का ‘विघ्न’ लोगों को परेशान कर रहा है। बाप्पा की मूर्तियों के दाम ४० प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
पिछले दो वर्षों में लोग त्योहारों के मौके पर भी घरों में बंद थे। जब हालात स्थिर हुए तो कोरोना से जुड़ी पांबदियां हटा दी गईं। त्योहारों को उत्साह से मनाने की छूट मिल गई। यही कारण है कि लोग इस वर्ष बड़ी धूमधाम से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने की तैयारी में जुट गए हैं।
मगर विघ्नहर्ता की मूर्तियों पर जीएसटी का ‘विघ्न’ लगने से लोगों में मायूसी भी है। एक तरफ देश में महंगाई की मार है, वहीं कुछ दिनों पहले कई सामानों पर केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में भी इजाफा किया गया है। ऐसे में बाप्पा पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। मूर्ति बनाने में लगनेवाले रॉ मटेरियल की वजह से बाप्पा की मूर्ति के दाम बढ़ गए हैं।
मुंबई सहित आसपास के जिलों में गणेशोत्सव की धूम रहती है। ऐसे में लोग बाप्पा की साज-सज्जा बढ़-चढ़कर करते हैं। इन मूर्तियों में काफी ज्यादा कपड़े लगते हैं। गणेश भक्त देवेंद्र पांडेय के मुताबिक पिछले साल तक बाप्पा की सजावट में इस्तेमाल होनेवाले कपड़े की कीमत प्रति मीटर ३५ से ४० रुपए थी।
इस साल रॉ मटेरियल पर जीएसटी बढ़ने के बाद प्रति मीटर कपड़ा ५५ से ६० रुपए तक पहुंच गया है। मूर्तियों की सजावट करने के किए ऑइल पेंट का भी इस्तेमाल किया जाता है। जीएसटी बढ़ने के बाद ऑइल पेंट पर प्रति डिब्बा २० प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
वहीं कलर करने के लिए इस्तेमाल में होनेवाले ब्रश की कीमत पिछले वर्ष ३० रुपए थी और इस साल जीएसटी बढ़ने के बाद वह ४५ रुपए तक पहुंच गई है। इसके अलावा फूल, धूप सहित अन्य पूजा के सामानों के दाम भी बढ़ गए हैं।
गणपति विक्रेता के मुताबिक इस साल मिट्टी पर भी जीएसटी बढ़ा दी गई है, जिसकी वजह से कुछ वर्ष पहले तक मिट्टी की कीमत प्रति २० किलो १८० रुपए थी। वहीं इस वर्ष रॉ मटेरियल पर जीएसटी बढ़ने से यह २५० से ३०० रुपए हो गई है।
इस साल लेबर कॉस्ट के बढ़ने से मूर्ति विक्रेताओं के सामने एक और बड़ी चुनौती आ गई है। बता दें कि कोरोना काल में काफी कारीगर काम छोड़कर गांव चले गए थे। इन कारीगरों को काम पर बुलाना भी काफी मुश्किलों भरा रहा। इस साल लेबर कॉस्ट प्रति व्यक्ति १,००० से १,८०० रुपए तक पहुंच गया।

