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Maharashtra 

कल्याण-पूर्व से पश्चिम जाना मुश्किल; नागरिकों का आरोप, टैक्स देके फंसे ट्रैफिक में

कल्याण-पूर्व से पश्चिम जाना मुश्किल; नागरिकों का आरोप, टैक्स देके फंसे ट्रैफिक में एक समय था जब कल्याण-पूर्व से पश्चिम जाना कुछ ही मिनटों का काम हुआ करता था, लेकिन अब यही रास्ता नागरिकों के लिए रोज की सजा बन गया है। मेट्रो कार्य शुरू होने से सड़कों की चौड़ाई कम हो गई है और ऊपर से अवैध पार्किंग, रिक्शा चालकों की मनमानी और मनपा की ढिलाई ने मिलकर इस संकट को और भी गहरा बना दिया है। दो मिनट का सफर अब आधे घंटे से भी ज्यादा समय ले रहा है।
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Mumbai 

मुंबई ; राज्य के तमाम बड़े शहरों में कार खरीदना मुश्किल; कार का सपना संजोने वालों को पहले पार्किंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी

मुंबई ; राज्य के तमाम बड़े शहरों में कार खरीदना मुश्किल; कार का सपना संजोने वालों को पहले पार्किंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी अगर सबकुछ ठीक रहा तो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के साथ राज्य के तमाम बड़े शहरों में कार खरीदना मुश्किल हो जाएगा। महाराष्ट्र सरकार 'नो पार्किंग-नो कार' की पॉलिसी पर काम कर रही है। ऐसा होने से मुंबई समेत दूसरे बड़े शहराें में कार का सपना संजोने वालों को पहले पार्किंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
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Mumbai 

मुंबई में 600 पदों के लिए 25,000 से अधिक आवेदक... एयर इंडिया के लिए काबू करना हुआ मुश्किल

मुंबई में 600 पदों के लिए 25,000 से अधिक आवेदक...  एयर इंडिया के लिए काबू करना हुआ मुश्किल मुंबई एयरपोर्ट पर एयर इंडिया की ओर से 'एयरपोर्ट लोडर' के लिए भर्ती के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. 600 पदों के लिए 25,000 से अधिक आवेदक पहुंचे और एयर इंडिया के कर्मचारियों को भारी भीड़ को संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि फॉर्म काउंटर तक पहुंचने के लिए आवेदक एक-दूसरे से धक्का-मुक्की कर रहे थे. हवाई अड्डे के लोडरों को विमान पर सामान चढ़ाने और उतारने और बैगेज बेल्ट और रैंप ट्रैक्टर चलाने का काम सौंपा जाता है.
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वसई-विरार की सड़कों का गांव के पगडंडी से भी बुरा हाल... सड़कों में गड्डे या गड्डों में सड़क, कहना मुश्किल

वसई-विरार की सड़कों का गांव के पगडंडी से भी बुरा हाल... सड़कों में गड्डे या गड्डों में सड़क, कहना मुश्किल ड्डों को अक्सर अनुशंसित गहराई तक नहीं काटा जाता है और उनमें डाम्बर को भर दिया जाता है और सड़कों को समय से पहले यातायात के लिए फिर से खोल दिया जाता है, जिससे न केवल फिर से गड्ढे बन जाते हैं, बल्कि यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं द्वारिका होटल से सोलंकी मेडिकल तक की सड़क को मात्र चार महीना पहले ही बनाया गया था, लेकिन पहली ही बरसात में सड़क टूट गईं। काम होने के बाद सड़क को फिर से बनाने के लिए ठेकेदार भूल गया। जिससे सड़क के बीचों-बीच गड्ढे बन गए हैं।
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