बिहार चुनाव की पारदर्शिता पर शरद पवार का सवाल, सरकारी फंड के उपयोग पर उठाए गंभीर आरोप
Sharad Pawar questions the transparency of Bihar elections, raises serious allegations about the use of government funds
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने चुनाव की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठाया है। पवार ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान सरकारी फंड का इस्तेमाल वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया गया, जो लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।
पवार ने कहा कि सत्ता पक्ष द्वारा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने को खर्च किया गया, और इसका सीधा असर जनसमर्थन पर पड़ा। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस तरह का आर्थिक उपयोग चुनावी मुकाबले को असमान और पक्षपाती बनाता है, जिससे निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा कमजोर होती है।
पवार ने चुनाव आयोग से अपील की कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और यह सुनिश्चित करे कि चुनाव से पहले सरकारी धन का वितरण सत्ताधारी दल के पक्ष में इस्तेमाल न हो। उनका कहना है कि आयोग को ऐसे मामलों पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर किसी प्रकार का दुरुपयोग न हो।
इसके साथ ही पवार ने महाराष्ट्र में हो रहे स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय चुनावों में जनता का सीधा संपर्क और स्थानीय नेतृत्व का निर्णय महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अगर चुनावी माहौल में पैसों का प्रभाव बढ़ेगा तो जनता की असली आवाज दब जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के फैसलों का चुनावों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और कई बार संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए इन संस्थाओं की निष्पक्षता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।
अंत में, पवार ने सुझाव दिया कि संसद में विशेष बैठक बुलाई जाए, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दल मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करें और ऐसे कानून बनाए जाएँ जो चुनावों में सरकारी धन के दुरुपयोग को रोक सकें। उनका कहना है कि निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की नींव है, और इसे बचाने के लिए सभी दलों को मिलकर कदम उठाने होंगे।

