ठाणे : ट्रक दुर्घटना में जान गंवाने वाली महिला के परिवार और दो अन्य घायलों को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश
Thane: Order to pay compensation of more than Rs 87 lakh to the family of the woman who lost her life in a truck accident and two others injured
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने वर्ष 2017 में ट्रक दुर्घटना में जान गंवाने वाली एक महिला के परिवार और दो अन्य घायलों को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। एमएसीटी अध्यक्ष एस बी अग्रवाल ने यह निर्देश ट्रक मालिक मुन्ना मघई यादव और यूनाइटेड इंडिया बीमा कंपनी लिमिटेड के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया।
ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने वर्ष 2017 में ट्रक दुर्घटना में जान गंवाने वाली एक महिला के परिवार और दो अन्य घायलों को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। एमएसीटी अध्यक्ष एस बी अग्रवाल ने यह निर्देश ट्रक मालिक मुन्ना मघई यादव और यूनाइटेड इंडिया बीमा कंपनी लिमिटेड के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वाई एस डुडुसकर ने पैरवी की, जबकि बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता के वी पुजारी पेश हुए। तीनों मामलों में ट्रक मालिक की ओर से कोई पेशी नहीं हुई। मामले के विवरण के अनुसार, यह दुर्घटना 22 अप्रैल, 2017 को नासिक-मुंबई राजमार्ग पर हुई थी, जब साध्वियों और उनके सेवकों का एक समूह नासिक से मुंबई की तीर्थयात्रा पर जा रहा था। कुछ लोग पैदल चल रहे थे और कुछ व्हीलचेयर पर थे। तभी एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी जिससे उन्हें घातक एवं गंभीर चोटें आईं।
प्राधिकरण ने रत्नशीलाजी हीराचंद चोपड़ा जैन (66) को 38.58 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। दुर्घटना के समय वह व्हीलचेयर पर थीं और उन्हें सिर, छाती व पेट में गंभीर चोटें आई थीं जिसके बाद से वह बिस्तर पर हैं। दुर्घटना में सिर में गंभीर चोट लगने के बाद उपचार के दौरान दम तोड़ने वाली रत्नी उर्फ रूपनी हांसदा के परिवार को 24.32 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया गया। सुनीता उर्फ सामोनीदेवी नेयका मांझी (64) को 24.37 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया गया। दुर्घटना में उनकी हड्डियां टूट गई थीं और सिर में चोट आई थी।
इन तीनों मामलों में बीमा कंपनी द्वारा यह तर्क दिया गया कि वाहन चालक के पास वैध लाइसेंस या परमिट नहीं था जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है, लेकिन यह साबित नहीं हो सका। इसलिए बीमा कंपनी को वाहन मालिक के साथ संयुक्त रूप से उत्तरदायी ठहराया गया।

