मुंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगी महानगर पालिका...

Mahanagar Palika will go to Supreme Court against the decision of Mumbai High Court...

मुंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगी महानगर पालिका...

मुंबई में निकलने वाला 6500 मैट्रिक टन कचरा में मात्र 600 मैट्रिक टन कचरा देवनार डम्पिंग ग्राउंड जाता है। बकाया कचरा कांजूर डम्पिंग ग्राउंड जाता है। इस स्थान पर जमा पुराने कचरे की प्रक्रिया कर के जगह खाली करने के लिए तीन महीने का समय पर्याप्त नहीं है। ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मनपा के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मंडप ने पहले ही मुलुंड डम्पिंग ग्राउंड को बंद करने की प्रक्रिया जारी है और देवनार डम्पिंग की जमीन धारावी पुनर्विकास प्रकल्प के लिए मांगी गई है। यदि अब कांजूरमार्ग डम्पिंग ग्राउंड भी बंद करना पड़ा तो मुंबई महानगर पालिका के पास कोई वैकल्पिक स्थान नहीं बचेगा। 

मुंबई : हाईकोर्ट ने कांजुर डम्पिंग ग्राउंड को वन की जमीन घोषित करते हुए तीन महीने में डम्पिंग ग्राउंड खाली करने का निर्देश दिया है। मनपा हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मनपा के सामने कचरा रखने की समस्या खड़ी होती नजर आ रही है। मनपा के सामने अब सुप्रीम कोर्ट ही सहारा शेष है। जमीन वन विभाग को सौंपने का आदेश मुंबई में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा कांजूरमार्ग डम्पिंग ग्राउंड पर डाला जाता है। 

मुंबई हाईकोर्ट ने कंजूर की जमीन को वन क्षेत्र की जमीन घोषित कर मनपा को तीन महीने में जमीन खाली करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने देवनार की 125 एकड़ जमीन पहले ही खाली करने का निर्देश दिया है। इस बीच कोर्ट के निणर्य ने मनपा के सामने और परेशानी खड़ी कर दी है। कंजूर में जमा हुआ कचरा हटाना और जमीन वन विभाग को सौंपना मनपा के सामने टेढ़ी खीर साबित होगा। मनपा अब इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। इस तरह की जानकारी मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने दी। 

मुंबई में निकलने वाला 6500 मैट्रिक टन कचरा में मात्र 600 मैट्रिक टन कचरा देवनार डम्पिंग ग्राउंड जाता है। बकाया कचरा कांजूर डम्पिंग ग्राउंड जाता है। इस स्थान पर जमा पुराने कचरे की प्रक्रिया कर के जगह खाली करने के लिए तीन महीने का समय पर्याप्त नहीं है। ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मनपा के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मंडप ने पहले ही मुलुंड डम्पिंग ग्राउंड को बंद करने की प्रक्रिया जारी है और देवनार डम्पिंग की जमीन धारावी पुनर्विकास प्रकल्प के लिए मांगी गई है। यदि अब कांजूरमार्ग डम्पिंग ग्राउंड भी बंद करना पड़ा तो मुंबई महानगर पालिका के पास कोई वैकल्पिक स्थान नहीं बचेगा। 

कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड 2011 के आसपास अस्तित्व में आया। कांजूर पर जमा हुए कचरे पर प्रक्रिया कर खाद बनाने और अब बिजली उत्पादन करने का भी मनपा ने योजना बनाई है। इस डम्पिंग ग्राउंड पर अभी भी 2 से 3 मिलियन टन कचरा बचा हुआ है। भविष्य में बढ़ती जनसंख्या के साथ कचरे की मात्रा और बढ़ने की संभावना है। वहीं एक के बाद एक डंपिंग ग्राउंड बंद होने के चलते मनपा के सामने कचरा प्रबंधन के लिए जमीन की गंभीर समस्या खड़ी हो रही है। राज्य सरकार ने तलोजा में जमीन डम्पिंग ग्राउंड के लिए जरूर दी थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद मनपा जमीन नहीं ले पाई। इसी तरह अंबरनाथ में मिली जमीन मुंबई से काफी दूर दूर होने के कारण मनपा जमीन को कब्जे में नहीं ली।

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