मॉनसून से पहले नहीं पूरा हुआ कार्य तो डूबेगा वसई-विरार... एक ही सड़क को दो बार खोदना आम बात
If the work is not completed before the monsoon, Vasai-Virar will be submerged... Digging the same road twice is a common practice

वसई विरार में हर गली, हर सड़क खोदी जा रही हैं। कहीं गटर निर्माण के नाम पर तो कहीं पाइपलाइन, बिजली या एसटीपी कार्य के बहाने, लेकिन सवाल है कि क्या यह सब नियोजन बंध योजना के तहत हो रहा है या यह महज दिखावटी विकास है? उल्लेखनीय है कि शहर की बड़ी आबादी रोजाना खुदाई से जूझ रही है।
नालासोपारा : वसई विरार में हर गली, हर सड़क खोदी जा रही हैं। कहीं गटर निर्माण के नाम पर तो कहीं पाइपलाइन, बिजली या एसटीपी कार्य के बहाने, लेकिन सवाल है कि क्या यह सब नियोजन बंध योजना के तहत हो रहा है या यह महज दिखावटी विकास है? उल्लेखनीय है कि शहर की बड़ी आबादी रोजाना खुदाई से जूझ रही है।
सड़कें अधूरी हैं, रास्ते अवरुद्ध हैं और पैदल चलना एक जोखिम बन चुका है। बुजुर्गों, दिव्यांगों और आपातकालीन सेवाओं के लिए हालात और भी गंभीर हैं। कई अस्पतालों के रास्ते खोदे गए हैं और वैकल्पिक मार्गों की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यह स्थिति जीवन के लिए खतरा भी बन चुकी है। हालांकि, इस काम के चलते शहर की सड़कें जगह-जगह खोद दी गई हैं और कई जगह गड्ढे हो चुके हैं। मॉनसून में मुश्किल कम होगी यें तो नहीं पता, लेकिन अगर गड्डों को भरा नहीं गया और वक्त पर काम पूरा नहीं हुआ, तो जरूर दिक्कत हो सकती है।
शहर में चल रहे विकास कार्य चल रहे हैं। काम के बाद समस्या कम होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल विकास कार्य जानलेवा साबित हो रहे हैं। विकास कार्यों के लिए जगह-जगह खोदी गई सड़कें आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन चुकी हैं। सड़कों पर छोटे-बड़े गड्ढे हादसों को न्योता दे रहे हैं। कुछ गड्डे, तो इतने गहरे हैं कि अगर गलती से कोई इसमें गिर गया, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
लोगों का आरोप है कि कुछ जगहों पर कार्य पूरा होने के बावजूद ठेकेदार ने गड्डों को नहीं भरा है। अगर यही हाल रहा, तो मॉनसून में आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। एक ही सड़क को दो बार खोदने की बात आम हो चुकी है।
पहले कंक्रीटिंग, फिर उपयोगिता कार्य। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जनता का पैसा इस तरह दोबारा खुदाई में बर्बाद करना जिम्मेदारी है? क्या प्लानिंग का मतलब यही है कि पहले बनाओ फिर तोड़ो ? यह खुदाई सिर्फ जमीन की नहीं, जनता के भरोसे की भी है। जब तक योजनाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की भागीदारी नहीं होगी, तब तक यह खुदाई शहर की रफ्तार को और खोखला करती रहेगी।