मुंबई : बांद्रा में आग की घटना के बाद कांच की इमारतों की सुरक्षा का मुद्दा फिर गरमाया, मनपा इमारतों में कांच लगाने की अनुमति देने पर फिर से कर रही विचार
Mumbai: After the fire incident in Bandra, the issue of safety of glass buildings has heated up again, the Municipal Corporation is reconsidering giving permission to install glass in buildings
अंधेरी के लोटस बिजनेस पार्क और टेक्निक प्लस इमारतों में लगी 2014 में आग की घटनाएं पहले भी इस खतरे को उजागर कर चुकी हैं। लोटस इमारत की घटना में एक दमकलकर्मी की मौत और 21 अन्य घायल हो गए थे। उस समय भी कांच के कारण धुआं बाहर नहीं निकल पाया और राहत कार्य में बाधा आई थी। मनपा ने 2012 में कांच की इमारतों के लिए अग्निशमन नियम बनाए गए थे जिसमे उनमें सुधार भी हुआ।
मुंबई : वांद्रे पश्चिम के लिंकिंग रोड पर स्क्वायर मॉल में लगी आग कांच से ढकी इमारतों की अग्निशमन सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इमारतों में लगे कांच को ग्लास फसार्ड कहा जाता है। मनपा अब फिर एक बार ग्लास फसार्ड के नियमों पर पुनर्विचार करने का मन बना रही है।
मनपा का कहना है कि इस तरह की इमारतों को पूरी तरह कांच लगाने की अनुमति पर विचार किया जाएगा और इमारत के किसी एक हिस्से में कांच लगाने की बंदी लाई जा सकती है। बता दें कि बांद्रा पश्चिम के मॉल में आग बुझाने के लिए पहुंचे दमकल कर्मियों को अत्यधिक गर्मी और वेंटिलेशन की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
जिससे उन्हें मॉल से बाहर निकलना पड़ा। इस घटना के बाद से कांच की इमारतों में अग्निशमन नियमों के पालन को लेकर मनपा प्रशासन, दमकल विभाग और डेवलपर की लापरवाही पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। उल्लेखनीय है कि कांच की इमारतों के लिए विशेष अग्निशमन नियमावली मौजूद है जिसमें सुरक्षा प्रमाणपत्र और समय-समय पर जांच की अनिवार्यता है लेकिन खुद दमकल विभाग ही इन नियमों का पालन नहीं कर रहा।
अंधेरी के लोटस बिजनेस पार्क और टेक्निक प्लस इमारतों में लगी 2014 में आग की घटनाएं पहले भी इस खतरे को उजागर कर चुकी हैं। लोटस इमारत की घटना में एक दमकलकर्मी की मौत और 21 अन्य घायल हो गए थे। उस समय भी कांच के कारण धुआं बाहर नहीं निकल पाया और राहत कार्य में बाधा आई थी। मनपा ने 2012 में कांच की इमारतों के लिए अग्निशमन नियम बनाए गए थे जिसमे उनमें सुधार भी हुआ।

