मुंबई : हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति
Mumbai: Permission given to cut 209 mangroves for construction of high-voltage transmission line
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अडानी समूह को मुंबई में बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रस्तावित हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति दे दी है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस आधार पर कि यह सार्वजनिक महत्व की परियोजना है. मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने 6 फरवरी को अपने आदेश में कहा कि बिजली ट्रांसमिशन लाइन निर्माण परियोजना मुंबई के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रांसमिशन कॉरिडोर की मौजूदा क्षमता शहर में और अधिक बिजली ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं है.
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अडानी समूह को मुंबई में बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रस्तावित हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति दे दी है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस आधार पर कि यह सार्वजनिक महत्व की परियोजना है. मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने 6 फरवरी को अपने आदेश में कहा कि बिजली ट्रांसमिशन लाइन निर्माण परियोजना मुंबई के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रांसमिशन कॉरिडोर की मौजूदा क्षमता शहर में और अधिक बिजली ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं है.
रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को अनुमति दे दी, जिसमें अपने दो ट्रांसमिशन सबस्टेशनों के बीच हाई-वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) लिंक स्थापित करने के लिए वसई क्रीक के पास स्थित 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति मांगी गई थी. इस परियोजना में 80 किलोमीटर का हिस्सा शामिल है, जिसमें से 30 किलोमीटर ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनें होंगी, जबकि शेष 50 किलोमीटर मैंग्रोव क्षेत्र में भूमिगत केबल होंगी.
एचवीडीसी लाइनें मुंबई, ठाणे और पालघर जिलों से होकर गुजरेंगी. याचिकाकर्ता कंपनी के अनुसार, एचवीडीसी का केवल एक किलोमीटर हिस्सा मैंग्रोव क्षेत्रों से होकर गुजरता है. रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सतत विकास की आवश्यकता और पर्यावरण को बनाए रखने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए.
प्रस्तावित परियोजना के सार्वजनिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, जिससे मुंबई शहर और उसके उपनगरों में बिजली उपभोक्ताओं को लाभ होगा और जिससे संभावित विकास होगा, हम वांछित अनुमति प्रदान करना उचित समझते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार, पूरे राज्य में मैंग्रोव के विनाश पर "पूर्ण रोक" है. आदेश के अनुसार, जब भी कोई अधिकारी किसी सार्वजनिक परियोजना के लिए मैंग्रोव को गिराना चाहता है, तो उसे हाई कोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि ट्रांसमिशन लाइसेंस के अनुसार, अडानी को मार्च तक परियोजना चालू करनी थी और उसने मैंग्रोव को काटने के लिए सभी आवश्यक वैधानिक अनुमतियां प्राप्त कर ली हैं.
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