मुस्लिमों को मिले 5 फीसदी आरक्षण... मनोज जरांगे और छगन भुजबल के बाद उलेमा बोर्ड ने दी चेतावनी !
Muslims should get 5 percent reservation... After Manoj Jarange and Chhagan Bhujbal, Ulema Board gave warning!
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राज्य में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को मनोज जरांगे पाटिल दो बार भूख हड़ताल कर चुके हैं तो वहीं ओबीसी वर्ग का आरक्षण प्रभावित होने की आशंका को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री और ओबीसी लीडर छगन भुजबल हमलावर हैं।
पुणे: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर ओबीसी वर्ग की तरफ से विरोध चल रहा है। अब राज्य में मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग सामने आई है। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड (एआईयूबी) ने चेतावनी दी कि अगर महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय को राज्य सरकार द्वारा शिक्षा में 5 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा नहीं किया गया तो यह समुदाय बड़ा आंदोलन शुरू करेगा।
एआईयूबी की मांग राज्य भर में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलनों, धनगरों द्वारा एनटी (सी) से एसटी में वर्गीकरण बदलने की मांग और ओबीसी द्वारा अपने मौजूदा आरक्षण की रक्षा करने की मांग के बीच आई है। आरक्षण के अलावा सम्मेलन ने राज्य के सभी उर्दू माध्यम स्कूलों में अरबी भाषा शिक्षण शुरू करने की भी मांग की है।
राज्य में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को मनोज जरांगे पाटिल दो बार भूख हड़ताल कर चुके हैं तो वहीं ओबीसी वर्ग का आरक्षण प्रभावित होने की आशंका को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री और ओबीसी लीडर छगन भुजबल हमलावर हैं।
एआईयूबी के वक्फ विंग के प्रमुख सलीम सारंग ने कहा कि सम्मेलन में इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और मांगों को मानने के लिए सरकार से औपचारिक अनुरोध किया जाएगा। 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ उन्होंने परोक्ष चेतावनी जारी की कि यदि मुस्लिम समुदाय चुनावों में किसी विशेष उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकता, तो वे निश्चित रूप से किसी के लिए भी हार का कारण बन सकते हैं और इसलिए समय आ गया है कि उनकी अनदेखी करना बंद कर दिया जाए और उनकी मांगों को बहुत गंभीरता लिया जाए।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अदालतों द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देने के बावजूद राज्य की कोई भी सरकार इसे लागू करने के लिए उत्सुक नहीं दिखती है।
इससे पहले, एम आरिफ नसीम खान और हुसैन दलवाई, समाजवादी पार्टी प्रमुख अबू आसिम आजमी और अन्य अल्पसंख्यक नेताओं जैसे महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने भी कई मौकों पर मुस्लिम कोटा का मुद्दा उठाया था। उर्दू स्कूल पाठ्यक्रम में अरबी भाषा को शामिल करने की मांग पर सारंग ने कहा कि कई लोग खाड़ी देशों में नौकरियां सुरक्षित करते हैं और स्थानीय भाषा का ज्ञान होने से उन्हें अच्छा रोजगार मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने 'मदरसों' के खिलाफ चलाए गए अभियानों का भी जिक्र किया और कहा कि वहां बच्चे अरबी भाषा समेत कई चीजें सीखते हैं और अब राज्य सरकार को इसे उर्दू माध्यम के स्कूलों में भी लागू करना चाहिए। सारंग ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगों पर जोर देने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और अन्य शीर्ष सरकारी अधिकारियों से मिलने का समय मांगा है।