बीएमसी बना रही खास योजना... कचरे से पैदा होगी 100 मेगावॉट बिजली
BMC is making a special plan... 100 MW electricity will be generated from waste.
मुंबई का 90 पर्सेंट कचरा कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड में फेंका जाता है। देवनार पर कचरे का बोझ कम करने के लिए कांजुरमार्ग में बायोरिएक्टर पद्धति से कचरे को डिस्पोजल किया जाता है।
मुंबई: मुंबई में कचरे की बढ़ती समस्या और डंपिंग ग्राउंड की वजह से आसपास के क्षेत्रों में फैलती दुर्गंध से आने वाले समय में मुंबईकरों को छुटकारा मिल सकता है। केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार की मदद से बीएमसी मुंबई में कचरे से 100 मेगावॉट बिजली उत्पादन की योजना बना रही है।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुंबई में प्रतिदिन लगभग 7 हजार मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है, जो देवनार और कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड में फेंका जाता है। उस कचरे से करीब 100 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक में मुंबई में कचरे की समस्या से निपटने के लिए उससे बिजली उत्पादन करने पर सहमति बनी। उन्होंने बताया कि देवनार और कांजुरमार्ग में फेंके जाने वाले कचरे का वेस्ट कैरेक्टराइजेशन टेस्ट किया जा रहा है।
इससे पता चलेगा कि कितना कचरा बिजली उत्पादन के योग्य है। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव है, जिसमें भारत सरकार के सेक्रेटरी, राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, बीएमसी कमिश्नर और बीएमसी के अडिशनल कमिश्नर शामिल होंगे।
यह कमिटी मुंबई में मुलुंड, कांजुरमार्ग और देवनार में स्थित डंपिंग ग्राऊंड से हजारों टन कचरे को वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक तकनीक के जरिए कैसे निपटाया जाए, इस पर रिपोर्ट तैयार करेगी। इसी के तहत कचरे से बिजली उत्पादन बढ़ाने का विकल्प भी शामिल है।
बीएमसी अधिकारी के अनुसार देवनार डंपिंग ग्राउंड में इस प्लांट से पहले चरण में 600 मीट्रिक टन कचरे से बिजली का उत्पादन होगा। इससे प्रतिदिन 6 मेगावाट बिजली मिलेगी। बीएमसी को उम्मीद है कि वर्ष 2025-26 तक इस प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
भविष्य में प्रॉजेक्ट को 1800 मीट्रिक कचरे में तब्दील कर बिजली उत्पादन की योजना है, जिससे प्रतिदिन करीब 10 मेगावॉट तक बिजली उत्पादन किया जा सकेगा। कचरे से पैदा होने वाली बिजली का कुछ हिस्सा उसी प्लांट में इस्तेमाल होगा। देवनार में रोजाना 1550 मीट्रिक टन कचरा फेंका जाता है।
मुंबई का 90 पर्सेंट कचरा कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड में फेंका जाता है। देवनार पर कचरे का बोझ कम करने के लिए कांजुरमार्ग में बायोरिएक्टर पद्धति से कचरे को डिस्पोजल किया जाता है।
देश के कई शहरों में कचरे से बिजली उत्पादन के प्लांट लगाए गए हैं। कुछ प्लांट में बिजली पैदा भी हो रही है, जबकि कुछ प्रोसेस में हैं। राजस्थान के जोधपुर में करीब 8 साल पहले कचरे से बिजली उत्पादन शुरू हुआ। इसी तरह कर्नाटक के बेंगलुरु में वर्ष 2021 में कचरे से बिजली उत्पादन का प्लांट शुरू हुआ।
1 अगस्त, 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवड में 700 मीट्रिक टन कचरे से 14 मेगावॉट बिजली उत्पादन प्लांट का उद्घाटन किया था। एक अनुमान के मुताबिक देश में हर साल 6.5 करोड़ टन कचरे का उत्पादन होता है।
इसका उपयोग कर सालों 65000 मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकती है। मनपा क्षेत्र में 75-80 प्रतिशत कचरा एकत्र होता है, जिसमें 22-28 प्रतिशत कचरे का ही प्रोसेस होता है। एक किलो वॉट बिजली उत्पादन के लिए एक टन कचरा पर्याप्त माना गया है।
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