इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज ने दी चेतावनी... बढ़ेगी तपिश, बारिश के कम होने के हैं आसार
Institute of Climate Change warns… heat will increase, there is a possibility of less rain
प्रकृति इस वर्ष हिंदुस्थान पर कहर बरपा सकती है। गर्मी और सूखे से देश तबाह हो सकता है। इस तबाही का कारण होगा अल नीनो। इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के निदेशक डीएस पई ने यह चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अल नीनो के कारण मानसूनी बारिश की अवधि औसत से ९० प्रतिशत से कम होने की संभावना है। डीएस पई ने एक चर्चा में कहा कि अल नीनो से जुड़े उच्च तापमान का असर एक साल तक महसूस किया जा सकता है।
मुंबई : प्रकृति इस वर्ष हिंदुस्थान पर कहर बरपा सकती है। गर्मी और सूखे से देश तबाह हो सकता है। इस तबाही का कारण होगा अल नीनो। इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के निदेशक डीएस पई ने यह चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अल नीनो के कारण मानसूनी बारिश की अवधि औसत से ९० प्रतिशत से कम होने की संभावना है। डीएस पई ने एक चर्चा में कहा कि अल नीनो से जुड़े उच्च तापमान का असर एक साल तक महसूस किया जा सकता है। डीएस पई ने कहा, ‘ला नीना के ३ साल बाद इस साल अल नीनो आने की संभावना है। देश में १०० से नीचे बारिश के मामले उस समय थे, जब मानसून ९० से नीचे था।
इसकी वजह से १९५२, १९६५ और १९७२ में हिंदुस्थान ने सूखे का सामना किया था और अब हम उसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।’ ला नीना, अल नीनो का विपरीत प्रभाव है, जिसमें जलवायु पैटर्न जो प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने के बारे में बताता है। इससे हिंदुस्थान और इसके पड़ोस में बारिश की कमी और सूखे से जुड़ी जानकारी मिलती है। ऐसे में यह चिंताजनक खबर है, क्योंकि हिंदुस्थान में आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।
बता दें कि देश के कई हिस्सों में फरवरी में इतनी गर्मी कई सालों बाद देखी गई है, जिससे भीषण गर्मी का संकट गहराता जा रहा है। उत्तरी हिंदुस्थान में सामान्य से अधिक तापमान की वजह से गेहूं उत्पादक किसानों की परेशानी बढ़ गई है। तापमान के ज्यादा रहने से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। कृषि मंत्रालय के पूर्व सलाहकार बीएल मीणा ने कहा कि अल नीनो के कारण खराब मानसून का असर कृषि उत्पादन पर पड़ेगा।
कृषि विशेषज्ञ दीपिंदर शर्मा ने कहा कि हालांकि, अभी चीजें ठीक हैं लेकिन किसान बढ़ते तापमान से चिंतित हैं। डीएस पई ने कहा, ‘संभावित अल नीनो प्रभाव के कारण एक लंबी शुष्क अवधि देखने को मिल सकती है। अगर अल नीनो सर्दियों में चरम पर होता है और २०२४ के वसंत के मौसम में जारी रहता है, तो अगला साल सबसे गर्म हो सकता है। अगर अल नीनो जारी रहता है तो २०२४ में तापमान का रिकॉर्ड टूट सकता है।

