भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित वंदे भारत ट्रेन गांधीनगर से मुंबई के बीच चलेगी
India's first indigenously developed Vande Bharat train will run between Gandhinagar to Mumbai
भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित वंदे भारत ट्रेन गांधीनगर से मुंबई के बीच चलेगी. इससे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस का ट्रायल रन सफलतापूर्वक हो चुका है.
भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित वंदे भारत ट्रेन गांधीनगर से मुंबई के बीच चलेगी. इससे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस का ट्रायल रन सफलतापूर्वक हो चुका है. ये ट्रेन ‘कवच’ तकनीक (ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) से लैस है, यह एक स्वचालित सुरक्षा प्रणाली है जो दो ट्रेनों को टकराने से रोकती है. यहां यह बताना जरूरी है कि इस तकनीक को भारत में ही विकसित किया गया है और विदेशों से बनकर आने वाली आयातित ट्रेन से कम लागत में बनी है.
केंद्र सरकार ने अपने बजट 2022 में ‘कवच’ तकनीक के तहत 2000 किलोमीटर के रेल नेटवर्क को शामिल करने की घोषणा की है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका ख़ुद सफल परीक्षण किया और आयातित ट्रेनों की तुलना में इस पर 50 प्रतिशत कम लागत आई है. इस प्रकार इस ट्रेन मेक इन इंडिया उत्पादों के प्रति पीएम की प्रतिबद्धता को साकार किया है.
स्वदेश में विकसित सेमी हाईस्पीड ट्रेन 52 सेकेंड में 0 से 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ लेगी. ट्रेन स्लाइडिंग फुटस्टेप्स, टच-फ्री स्लाइडिंग दरवाजे और स्वचालित प्लग दरवाजे से सुसज्जित हैं. कोच कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम तापमान को नियंत्रित करेगा, इस ट्रेन का नियंत्रण कंट्रोल रूम और रखरखाव कर्मचारियों के अलावा संचार और प्रतिक्रिया के लिए जीएसएम और जीपीआरएस तकनीक का उपयोग किया जाएगा.
ट्रेन में “दिव्यांगों के लिए विशेष शौचालय हैं अन्य यात्रियों के लिए टच-फ्री बायो-वैक्यूम शौचालय स्थापित किए गए हैं, इसी तरह, नेत्रहीन यात्रियों के लिए सीट नंबर भी ब्रेल में डिजाइन किए गए हैं, ट्रेन में लेवल- II सेफ्टी इंटीग्रेशन सर्टिफिकेशन, रियर-व्यू कैमरा और 4 प्लेटफॉर्म साइड कैमरा, एस्पिरेटिंग स्मोक डिटेक्टर और सप्रेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिकल क्यूबिकल्स, एरोसोल-आधारित फायर डिटेक्शन और वॉशरूम में सप्रेस सिस्टम है,
एक और महत्वाकांक्षी परियोजना जिसकी पीएम मोदी शुरुआत करेंगे, उसमें 30 सितंबर को अहमदाबाद मेट्रो के पहले चरण का उद्घाटन शामिल है. इस उद्घाटन के दो दिनों के अंदर मेट्रो का संचालन शुरू हो जाएगा. परियोजना के पहले चरण को पूरा करने में 12000 करोड़ रुपये की लागत, 910 लाख मानव दिवस रोजगार और 96 कोच, 129 लिफ्ट, 161 एस्केलेटर और 126 प्रवेश और निकास द्वार होंगे.
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