अमेरिका के बाद रूस का भी समर्थन...भारत को बनाया जाए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य

Russia's support after America...India should be made permanent member of UN Security Council

अमेरिका के बाद रूस का भी समर्थन...भारत को बनाया जाए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य

संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस ने फिर एक बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत का समर्थन किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, "हम अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से सुरक्षा परिषद को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की संभावना देखते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस ने फिर एक बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत का समर्थन किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, "हम अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से सुरक्षा परिषद को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की संभावना देखते हैं।

विशेष रूप से भारत और ब्राजील को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में जगह मिलनी चाहिए।'' इससे पहले 31 अन्य देशों के साथ भारत ने सुधारों पर एक संयुक्त बयान में कहा था कि स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए। साथ ही इसके काम करने के तरीकों में भी सुधार लाने की वकालत की गई थी। 

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इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  का स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया था। इस दौरान उन्होंने जापान और जर्मनी को भी स्थाई सदस्य बनाने की बात कही थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में संबोधन के दौरान भी उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की बात दोहराई थी। बाइडन ने कहा कि सुरक्षा परिषद को और समावेशी बनाया जाए, ताकि यह आज की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके।

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वीटो को लेकर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विशेष अथवा विषम परिस्थितियों में ही होना चाहिए, ताकि सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता और प्रभाव बना रहे। बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम पहले भी यह मानते थे और आज भी इस बात को मानते हैं कि भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए।

वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत ने अपने संबोधन के दौरान UNSC में सुधार की वकालत की है। जयशंकर ने कहा कि भारत अधिक जिम्मेदारियां लेने के लिए तैयार है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह के एक महत्वपूर्ण मामले पर गंभीर बातचीत हो। इसमें किसी भी देश को बाधा नहीं बनना चाहिए।

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