High Court
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मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश; बुज़ुर्ग मरीज़ को निजी अस्पताल से भाभा अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दे 

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश; बुज़ुर्ग मरीज़ को निजी अस्पताल से भाभा अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दे  बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बुज़ुर्ग मरीज़ के बेटे को निर्देश दिया है कि वह अपनी माँ को निजी अस्पताल से भाभा अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दे। निजी अस्पताल ने कहा कि बेटे ने एक महीने से ज़्यादा समय तक अस्पताल से छुट्टी देने की प्रक्रिया में बाधा डाली, मेडिकल स्टाफ़ को धमकाया और अपनी माँ को स्थानांतरित करने या उनके इलाज का खर्च उठाने की ज़िम्मेदारी लेने से बार-बार इनकार किया।
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अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने विदेश यात्रा की अनुमति वाली याचिका हाई कोर्ट से ली वापस... 60 करोड़ की ठगी से जुड़ा है मामला

अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने विदेश यात्रा की अनुमति वाली याचिका हाई कोर्ट से ली वापस...  60 करोड़ की ठगी से जुड़ा है मामला मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए, उनके वकील, निरंजन मुंदरगी ने अदालत को बताया कि शेट्टी अपनी याचिका पर इसलिए ज़ोर नहीं दे रही हैं क्योंकि उनकी यात्रा की योजना पूरी नहीं हुई है। मुंदरगी ने कहा, "जब भी वह और उनके पति भविष्य में यात्रा करना चाहेंगे, वे अदालत से अनुमति के लिए एक नया आवेदन दायर करेंगे।"
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दिवा से मुंबई सीएसएमटी लोकल की मांग को लेकर हाईकोर्ट जायेंगे स्थानीय नागरिक...

दिवा से मुंबई सीएसएमटी लोकल की मांग को लेकर हाईकोर्ट जायेंगे स्थानीय नागरिक... दिवा से मुंबई सीएसएमटी तक सीधी लोकल ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे दिवा निवासी अब कानूनी लड़ाई की तैयारी में हैं। बीते 25 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद जब रेलवे प्रशासन और सरकार की ओर से ठोस आश्वासन नहीं मिला, तो स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अमोल केंद्रे के नेतृत्व में नागरिकों ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।
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मुंबई : हाईकोर्ट का महारेरा को निर्देश... दोबारा शुरू करें प्रत्यक्ष सुनवाई!

मुंबई : हाईकोर्ट का महारेरा को निर्देश... दोबारा शुरू करें प्रत्यक्ष सुनवाई! कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पक्षकारों को सभी माध्यमों से सुनवाई का अवसर मिले। न्याय तक पहुंचना एक संवैधानिक अधिकार है और इसे किसी प्रक्रिया के नाम पर सीमित नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से जब दोनों विकल्प प्रत्यक्ष और आभासी - उपलब्ध हों, तब पक्षकारों को उनकी सुविधा अनुसार तरीका चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
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