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मुंबई : अदालती कार्यवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य नहीं माना जा सकता

मुंबई : अदालती कार्यवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य नहीं माना जा सकता बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालती कार्यवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) के समक्ष कार्यवाही की अनिवार्य रिकॉर्डिंग की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और सुनवाई में विसंगतियों से बचा जा सके।बॉम्बे उच्च न्यायालयसामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय द्वारा दायर यह याचिका सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत 2018 में दायर एक आवेदन से उपजी है, जिसमें उन्होंने जुलाई 2018 और उनके आवेदन की तिथि के बीच हुई एमईआरसी की जनसुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी थी। 
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मालवणी पुलिस स्टेशन परिसर के ऑडियो-वीडियो सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का निर्देश...

मालवणी पुलिस स्टेशन परिसर के ऑडियो-वीडियो सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का निर्देश... उच्च न्यायालय ने 9 अगस्त, 2023 को पुलिस डीसीपी (जोन-XI) को 30 मार्च की रात 10.30 बजे से 31 मार्च की सुबह 10 बजे तक यानी लगभग 12 घंटों के लिए मालवणी पुलिस में स्थापित 21 कैमरों से सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को संरक्षित करने का निर्देश दिया था।
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