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मुंबई : कूपर अस्पताल में कई ज़रूरी दवा स्टॉक से बाहर

मुंबई : कूपर अस्पताल में कई ज़रूरी दवा स्टॉक से बाहर जुहू स्थित बीएमसी द्वारा संचालित कूपर अस्पताल में आने वाले मरीज़ महीनों से कई ज़रूरी और मानसिक दवाओं के स्टॉक से बाहर होने के कारण जूझ रहे हैं। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि यह संकट लगभग छह महीने से जारी है, जिससे कई मरीज़ों – खासकर कम आय वाले परिवारों के – को निजी फ़ार्मेसियों से महंगी दवाएँ खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मानसिक रोगियों के परिवारों के लिए, स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक हो गई है। अंधेरी पूर्व में मानसिक विकलांगता से ग्रस्त उन्नीस वर्षीय सुजय सरदार, 2024 से कूपर अस्पताल में मनोरोग देखभाल में हैं। उनके पिता, 58 वर्षीय अनंत ने कहा कि पिछले छह महीनों से, परिवार को अस्पताल में शायद ही कभी निर्धारित दवाएँ मिली हों।
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नाबालिग की मानसिक सेहत जांचते वक्त साइकलॉजिस्ट जरूरी - हाई कोर्ट

नाबालिग की मानसिक सेहत जांचते वक्त साइकलॉजिस्ट जरूरी - हाई कोर्ट न्यायमूर्ति ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब भी पैनल नाबालिग की मानसिक सेहत का मूल्यांकन करे, तो उसमें एक साइकलॉजिस्ट हो। उसकी मौजूदगी में तैयार की जाने वाली रिपोर्ट ही किशोर न्याय बोर्ड को भेजी जाए, क्योंकि वह बेहतर ढंग से नाबालिग की शारीरिक व मानसिक स्थिति को समझ सकता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बच्चे ने जघन्य अपराध किया है, फिर भी उसके खिलाफ वयस्कों की तरह मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
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