नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर चिंता जाहिर की

Mumbai: Supreme Court expresses concern over growing stray dog ​​menace

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर चिंता जाहिर की

देश में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद उन्हें तुरंत खास आश्रय स्थल में रखा जाए, खासकर स्कूलों, अस्पतालों और रेलवे स्टेशनों जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाके से हटाकर. मुंबई की बात करें तो इस राज्य में 90,000 से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं लेकिन इन सबके लिए महज 8 शेल्टर होम्स मौजूद हैं. बीएमसी के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने के लिए और ज्यादा शेल्टर बनाने की जरूरत है. 

नई दिल्ली : देश में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद उन्हें तुरंत खास आश्रय स्थल में रखा जाए, खासकर स्कूलों, अस्पतालों और रेलवे स्टेशनों जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाके से हटाकर. मुंबई की बात करें तो इस राज्य में 90,000 से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं लेकिन इन सबके लिए महज 8 शेल्टर होम्स मौजूद हैं. बीएमसी के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने के लिए और ज्यादा शेल्टर बनाने की जरूरत है. 

 

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क्यों जरूरी है नसबंदी?
अगर मुंबई सार्वजनिक जगहों से केवल 30 से 40% कुत्तों को भी हटाती है तो भी लगभग 40,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल  चाहिए होंगे. एक कुत्ते का जोड़ा साल में तकरीबन 20 पिल्लों तक को जन्म देता है इसलिए इनकी संख्या को काबू में रखने के लिए नसबंदी बहुत जरूरी है जो काम बीएमसी 1984 से करती आ रही है. 

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बड़े राज्यों की लापरवाही
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कई बड़े राज्य इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है. राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या 8 लाख से ज्यादा है और शेल्टर होम एक भी नहीं. हरियाणा में 2.75 लाख कुत्तों पर 90 शेल्टर होम्स, झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल में एक भी नहीं. वहीं मध्य प्रदेश में कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है लेकिन केवल भोपाल में 1.20 लाख आवाका कुत्तों के होने का अनुमान है.  

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पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता
पशु कल्याण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुत्तों को हटाना सिर्फ थोड़े समय का हल है. कुत्ते अपने इलाके को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं. अगर एक इलाके से कुत्ते हटाए जाएंगे तो दूसरे कुत्ते तुरंत आकर उस जगह पर कब्जा कर लेंगे. कार्यकर्ताओं का मानना है कि जो स्वस्थ आवारा कुत्ते हैं उन्हें छोटे आश्रय स्थलों में बंद रखने से उनका जीवन खराब हो सकता है. उनकी राय में इस समस्या का असली हल आवारा कुत्तों को हटाना नहीं बल्कि प्रभावी तरीके से नसबंदी कार्यक्रम चलाना है. 

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कुत्तों के काटने की घटनाएं
पिछले डेढ़ साल में उत्तराखंड में कुत्तों के काटने के 2.14 लाख मामले सामने आए हैं. हिमाचल प्रदेश में तो लगभग 76,000 आवारा कुत्ते हैं लेकिन उनके लिए कोई भी आश्रय गृह नहीं है. उत्तराखंड में भी किसी भी जिले में कुत्तों के लिए आश्रय स्थल नहीं है. हालांकि देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे शहरों में पशु जन्म नियंत्रण केंद्र हैं जहां कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाती है. 

शेल्टर होम के नियम और चुनौतियां
एक कुत्ते की औसत उम्र 12 से 15 साल होती है. बीएमसी के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि, कुत्तों को आश्रय घर भेजने से पहले उनकी नसबंदी जरूरी है, शेल्टर में कुत्तों की देखभाल के लिए विशेषज्ञ और पशु चितित्सक रखने होंगे और उनके लिए खाना-पानी का इंतजाम करना होगा. अधिकारी ने कहा कि मुंबई में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को सही से लागू करने के लिए कड़ी निगरानी और मेहनत की जरूरत होगी.