मुंबई : एक्सप्रेस ट्रेनों के डब्बों से जेडएस कपलर चोरी करने वाले संगठित गिरोह का पर्दाफाश; आरपीएफ ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार
Mumbai: Organized gang involved in stealing ZS couplers from express train coaches busted; RPF arrests four accused
वाड़ीबंदर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने एक्सप्रेस ट्रेनों के डब्बों से जेडएस कपलर चोरी करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गैंग ने ट्रेनों की सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा से खिलवाड़ करते हुए इन अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरणों को चोरी किया। आरपीएफ ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने यूट्यूब वीडियो देखकर चोरी की पूरी योजना बनाई थी। बता दें कि जेडएसकपलर नई एलएचबी रेलवे कोचों में लगते हैं और इनकी मदद से एक कोच से दूसरे कोच तक बिजली की सप्लाई की जाती है। इनमें कॉपर वायर लगे होते हैं, जिन्हें निकालकर आरोपी भारी मुनाफे के लिए बेचने की फिराक में थे। चोरी किया गया एक कपलर लगभग एक लाख रुपये कीमत का होता है।
मुंबई : वाड़ीबंदर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने एक्सप्रेस ट्रेनों के डब्बों से जेडएस कपलर चोरी करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गैंग ने ट्रेनों की सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा से खिलवाड़ करते हुए इन अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरणों को चोरी किया। आरपीएफ ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने यूट्यूब वीडियो देखकर चोरी की पूरी योजना बनाई थी। बता दें कि जेडएसकपलर नई एलएचबी रेलवे कोचों में लगते हैं और इनकी मदद से एक कोच से दूसरे कोच तक बिजली की सप्लाई की जाती है। इनमें कॉपर वायर लगे होते हैं, जिन्हें निकालकर आरोपी भारी मुनाफे के लिए बेचने की फिराक में थे। चोरी किया गया एक कपलर लगभग एक लाख रुपये कीमत का होता है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हिरामन झोटिया चौधरी, अर्जुन किशोर चौधरी और मन्नू मदन प्रसाद के रूप में हुई है। ये तीनों माहिम ईस्ट की झोपड़पट्टी में रहते हैं और रेलवे में ठेकेदार मजदूर के तौर पर काम करते हैं। इनका काम रेलवे ट्रैक पर लगे पेड़ों की कटाई करना था, लेकिन इसी दौरान इन्होंने कपलर चोरी की योजना बनाई। चौथा आरोपी सुमरण गंगा राम गुप्ता (44) माहिम वेस्ट में कबाड़ की दुकान चलाता है और वही चोरों का मास्टरमाइंड था। उसने न केवल चोरी की योजना बनाई बल्कि चोरी किए गए माल को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी भी ली।
आरपीएफ के इंचार्ज बृजेश कुमार ने बताया कि आरोपियों को पता था कि गणपति विसर्जन के दौरान पुलिस और सुरक्षाबल भीड़ नियंत्रण और अन्य जिम्मेदारियों में व्यस्त रहेंगे। इसी का फायदा उठाकर इन्होंने चोरी को अंजाम दिया। कारखानों और रेलवे यार्ड में काम करने के दौरान आरोपियों ने सीखा था कि कपलर कैसे लगाए और निकाले जाते हैं। इसके बाद और जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर तकनीक सीखी और खुद को इसके लिए तैयार किया।
घटना की जानकारी मिलते ही आरपीएफ ने गंभीरता दिखाई। वरिष्ठ अधिकारियों ने तुरंत चार टीमों का गठन किया, जिनमें एक टीम सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही थी, दूसरी ह्यूमन इंटेलिजेंस जुटा रही थी और बाकी टीमें आरोपियों की तलाश में अलग-अलग दिशाओं में जुटी थीं। सीसीटीवी जांच से एक संदिग्ध की पहचान हुई और जानकारी लोकल पुलिस के साथ साझा की गई। सबसे पहले हिरामन पकड़ा गया, जिसने पूछताछ में अपना अपराध कबूल किया। उसकी निशानदेही पर अन्य तीनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 30 सितंबर तक आरपीएफ की कस्टडी में भेज दिया गया है। आरपीएफ ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ रेलवे प्रॉपर्टी (अनलॉफुल पजेशन) एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है।

