मुंबई : 96 सीज़ इमारत "सबसे खतरनाक" घोषित; 2,400 किरायेदारों और निवासियों को 20,000 मासिक किराया सहायता देने का निर्णय
Mumbai: 96 SEZ building declared "most dangerous"; decision to provide Rs 20,000 monthly rental assistance to 2,400 tenants and residents

मॉनसून से पहले म्हाडा ने एक बड़ा और राहत भरा कदम उठाया है. मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रीकंस्ट्रक्शन बोर्ड जो म्हाडा का एक घटक है, ने शहर की 96 सीज़ इमारतों को "सबसे खतरनाक" घोषित किया है. इन इमारतों में रह रहे करीब 2,400 किरायेदारों और निवासियों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए बोर्ड ने वैकल्पिक निवास की व्यवस्था करने वालों को ₹20,000 मासिक किराया सहायता देने का निर्णय लिया है.
मुंबई : मॉनसून से पहले म्हाडा ने एक बड़ा और राहत भरा कदम उठाया है. मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रीकंस्ट्रक्शन बोर्ड जो म्हाडा का एक घटक है, ने शहर की 96 सीज़ इमारतों को "सबसे खतरनाक" घोषित किया है. इन इमारतों में रह रहे करीब 2,400 किरायेदारों और निवासियों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए बोर्ड ने वैकल्पिक निवास की व्यवस्था करने वालों को ₹20,000 मासिक किराया सहायता देने का निर्णय लिया है. साथ ही म्हाडा ने 400 ट्रांजिट टेनेमेंट्स (स्थानांतरित घरों) को लीज़ पर लेने के लिए सार्वजनिक विज्ञापन जारी करने का निर्देश भी दिया है. ये घर 180 से 250 वर्गफुट के होंगे और इन्हें तीन साल की अवधि के लिए बाहरी एजेंसियों से किराए पर लिया जाएगा, ताकि 96 खतरनाक इमारतों के प्रभावित निवासियों को अस्थायी आश्रय मिल सके.
फिलहाल म्हाडा के पास केवल 786 ट्रांजिट टेनेमेंट्स उपलब्ध हैं, जो सभी प्रभावितों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में बारिश के मौसम को देखते हुए और लोगों की जान को खतरे से बचाने के लिए यह अंतरिम व्यवस्था की जा रही है. मासिक किराया सहायता और बाहरी एजेंसियों से ट्रांजिट घरों की लीज़ ये दोनों व्यवस्था, पर होने वाला पूरा खर्च उन निजी बिल्डरों या हाउसिंग सोसाइटियों से वसूला जाएगा जो संबंधित इमारतों का पुनर्विकास कर रहे हैं. यह वसूली उस दिन से प्रभावी होगी जब से किराया दिया गया हो या घरों की लीज़ शुरू की गई हो.
गौरतलब है कि मुंबई के आईलैंड सिटी क्षेत्र में कुल 13,091 सीज़ इमारतें हैं। म्हाडा वर्तमान में 20,591 ट्रांजिट टेनेमेंट्स का संचालन करती है, जिनका उपयोग इमारतों की मरम्मत, गिरावट, संकरी जगहों पर पुनर्विकास या सड़क चौड़ीकरण जैसी वजहों से हटाए गए निवासियों को अस्थायी आश्रय देने के लिए किया जाता है. म्हाडा का यह फैसला न सिर्फ राहत देने वाला है, बल्कि समय पर उठाया गया एक सुरक्षात्मक कदम भी है, जिससे मानसून के दौरान किसी बड़ी त्रासदी से बचा जा सके.