मुंबई : पीक सीजन में आम लोगों को कंफर्म टिकट मिलना दूभर; रेलवे का तत्काल सिस्टम भी फेल

Mumbai: It is difficult for common people to get confirmed tickets during peak season; Railway's Tatkal system also fails

मुंबई : पीक सीजन में आम लोगों को कंफर्म टिकट मिलना दूभर; रेलवे का तत्काल सिस्टम भी फेल

जब बात कम किराए और आरामदायक सफर की होती है तो लोग रेलवे को याद करते हैं। लेकिन पीक सीजन में ऐसा होते हुए नहीं दिख रहा है, क्योंकि आम लोगों को कंफर्म टिकट मिलना दूभर हो गया है। हद तो तब हो गई, जब रेलवे का तत्काल सिस्टम भी फेल हो रहा है और लोगों के हाथ निराशा ही लग रही है। बता दें कि मई व जून के महीने में कई लोग मुंबई से उत्तर भारत की यात्रा करते है। लोगों का प्रमुख गंतव्य यूपी व बिहार में है, लेकिन परेशानी यह है कि कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। इससे यात्री परेशान हैं।

मुंबई : जब बात कम किराए और आरामदायक सफर की होती है तो लोग रेलवे को याद करते हैं। लेकिन पीक सीजन में ऐसा होते हुए नहीं दिख रहा है, क्योंकि आम लोगों को कंफर्म टिकट मिलना दूभर हो गया है। हद तो तब हो गई, जब रेलवे का तत्काल सिस्टम भी फेल हो रहा है और लोगों के हाथ निराशा ही लग रही है। बता दें कि मई व जून के महीने में कई लोग मुंबई से उत्तर भारत की यात्रा करते है। लोगों का प्रमुख गंतव्य यूपी व बिहार में है, लेकिन परेशानी यह है कि कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। इससे यात्री परेशान हैं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहनेवाले २२ वर्षीय आदर्श उपाध्याय गोरेगांव स्टेशन पर पिछले दो दिनों से तत्काल की लाइन में खड़े थे। पहले दिन उनका नंबर १५वें स्थान पर था, जब उनका नंबर आया तो पता चला कि तत्काल में वेटिंग हो गया है। दूसरे दिन उनका नंबर ८वां था, लेकिन इस बार भी उन्हें कंफर्म टिकट नही मिला।

उन्होंने बताया कि गांव में शादी है। परिवार सहित जाना है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से टिकट ही नहीं मिल पा रहा है। बोरीवली स्टेशन पर लाइन में खड़े चंदन मिश्र ने बताया कि दलाल स्लीपर टिकट का ढाई हजार और एसी टिकट का ४,५०० रुपए मांग रहे है, लेकिन इतने पैसे नही हैं इसलिए वह तत्काल टिकट की फिराक में है।

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काम कर रहा बड़ा रैकेट
एक अन्य व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रेलवे में टिकट की कालाबाजारी हो रही है। इसमें रेलवे के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। प्रशासन अगर सख्ती से जांच करे तो बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हो सकता है। लाइन में लगे लोगों ने बताया कि रात करीब ९ बजे एक सुरक्षाकर्मी उनकी फोटो निकालकर ले जाता है। सुबह ७ बजे तक ३-४ बार फोटो खींची जाती है, ताकि वास्तविक लोगों को ही मौका मिले। एक यात्री ने बताया कि काउंटर पर पहुंचने से पहले आधार कार्ड की कॉपी भी ली जाती है। काउंटर पर सुबह ७:५५ बजे तक भेज दिया जाता है। सीएसएमटी पर पांच काउंटर हैं। रातभर लाइन में लगे दस लोगों को `गोल्डन पीरियड’ का लाभ मिलने की उम्मीद रहती है। एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेलवे में करीब ७,४०० पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) हैं। सुबह लगभग ८ बजे काउंटर खुलते हैं।

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समर स्पेशल भी फुल!
यात्री नदीम सिद्दीकी को बिहार के मुजफ्फरपुर जाना है। उन्होंने बताया कि रेलवे समर स्पेशल ट्रेन चला रही है, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं है। यहां भी दलालों ने कब्जा कर लिया है और कंफर्म टिकट तो दूर, यहां वेटिंग भी नहीं, बल्कि रिग्रेट दिखाई दे रहा है। मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि कई समर स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। तत्काल सिस्टम में आईआरसीटीसी के एजेंट भी
लॉगिन करते हैं इसलिए टिकट का लोड बढ़ जाता है।

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