नवी मुंबई में सार्वजनिक स्थानों पर आसाराम बापू के होर्डिंग्स लगाए जाने से लोगों में आक्रोश
People are angry due to the installation of Asaram Bapu's hoardings at public places in Navi Mumbai
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पर आसाराम बापू के विज्ञापन पोस्टरों को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब महाराष्ट्र के नवी मुंबई में भी उसी तरह के होर्डिंग्स दिखाई दिए हैं. शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों—वाशी रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप और व्यस्त सड़कों के किनारे लगाए गए इन बड़े-बड़े पोस्टरों ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है. गौरतलब है कि आसाराम बापू बलात्कार का दोषी करार दिया जा चुका है और उम्रकैद की सजा काट रहा है. ऐसे में एक सजायाफ्ता अपराधी का महिमामंडन करना और सार्वजनिक जगहों पर उसके प्रचार-प्रसार की अनुमति देना, न केवल कानूनी बल्कि नैतिक रूप से भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
नवी मुंबई : दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पर आसाराम बापू के विज्ञापन पोस्टरों को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब महाराष्ट्र के नवी मुंबई में भी उसी तरह के होर्डिंग्स दिखाई दिए हैं. शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों—वाशी रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप और व्यस्त सड़कों के किनारे लगाए गए इन बड़े-बड़े पोस्टरों ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है. गौरतलब है कि आसाराम बापू बलात्कार का दोषी करार दिया जा चुका है और उम्रकैद की सजा काट रहा है. ऐसे में एक सजायाफ्ता अपराधी का महिमामंडन करना और सार्वजनिक जगहों पर उसके प्रचार-प्रसार की अनुमति देना, न केवल कानूनी बल्कि नैतिक रूप से भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
स्थानीय निवासी सुमित शर्मा ने इन होर्डिंग्स की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा कीं. उन्होंने लिखा, "क्या हमारे शहर में अब बलात्कारियों का महिमामंडन खुलेआम किया जाएगा? वाशी और कोपर खैराने की सड़कों पर ये शर्मनाक पोस्टर कतार में लगे हैं और प्रशासन चुप बैठा है."
नवी मुंबई के नागरिकों में इसको लेकर खासा रोष है. सोशल मीडिया पर लगातार लोग इन पोस्टरों को तुरंत हटाने और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि एक बलात्कारी की तस्वीरें सार्वजनिक स्थानों पर लगाकर क्या संदेश दिया जा रहा है?
एक स्थानीय व्यवसायी रवि मेहता ने कहा, "यह न केवल महिलाओं और लड़कियों के लिए असुरक्षित माहौल को बढ़ावा देने जैसा है, बल्कि हमारे समाज की नैतिकता पर भी सवाल खड़े करता है. प्रशासन को तुरंत एक्शन लेना चाहिए."
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे विवाद पर अभी तक नगर निगम या स्थानीय प्रशासन का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. सवाल यह भी उठता है कि इन होर्डिंग्स को लगाने की अनुमति किसने दी? क्या यह प्रशासन की अनदेखी का नतीजा है, या फिर किसी प्रभावशाली लॉबी का खेल?
धार्मिक या आध्यात्मिक छवि का इस्तेमाल कर अपराधियों को महिमामंडित करने का यह एक खतरनाक ट्रेंड बन रहा है. एक सामाजिक कार्यकर्ता नीता वर्मा ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति अपराधी साबित हो चुका है, तो उसे आध्यात्मिक गुरु बताना और उसकी छवि सुधारने की कोशिश करना समाज के लिए घातक है. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गलत उदाहरण पेश करता है."
अब क्या होगा?
बढ़ते दबाव के बीच प्रशासन के पास अब दो ही रास्ते हैं—या तो तत्काल इन होर्डिंग्स को हटाया जाए और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाए, या फिर जनता के गुस्से का सामना किया जाए. यह मामला सिर्फ एक शहर या एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे एक बलात्कारी को नायक की तरह पेश करने की कोशिश की जा रही है. क्या हम ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहां अपराधियों को देवता बना दिया जाए? या फिर जनता की आवाज सुनी जाएगी और ऐसे शर्मनाक कृत्यों पर रोक लगेगी? जवाब जल्द ही सामने आ जाएगा.
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