बिजली 'संकट' के करीब पहुंची मुंबई, गर्मी के साथ बढ़ी डिमांग और बिजली कटौती से भी हाहाकार
Due to the heat, the power demand in Mumbai was at an all-time high on Wednesday...
मुंबई में बिजली की चरम मांग ने बुधवार दोपहर को 3,968 मेगावाट के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया, जिसके बाद सायन सहित द्वीप शहर के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती और विले पार्ले-अंधेरी के साथ कुछ क्षेत्रों में बिजली गुल हो गई। गोरेगांव बेल्ट में दो घंटे तक आपूर्ति बाधित रही।
गर्मी के कारण बुधवार को मुंबई में बिजली की डिमांड ऑल टाइम हाई रही। टाटा पावर के अनुसार दोपहर 3:30 बजे बिजली की डिमांड 3,968 मेगावाट तक डिमांड पहुंच गई। इस दौरान अडाणी इलेक्ट्रिसिटी के नेटवर्क पर 2,082 मेगावाट की पीक डिमांड पहुंची जबकि टाटा पावर की डिमांड 960 मेगावाट तक पहुंच गई। पीक टाइम में टाटा के ट्रॉम्बे प्लांट से 750 मेगावॉट बिजली सप्लाई की गई। पीक सीजन शुरू होने से पहले राजधानी मुंबई और मेट्रोपोलिटन रीजन (MMR) में सामान्य के मुकाबले प्रतिदिन करीब 800 मेगावाट अधिक बिजली की जरूरत का अनुमान लगाया गया था। हर साल के मुकाबले इस साल गर्मी के सीजन में ज्यादा दिनों तक गर्मी और उमस रही है। आम दिनों में MMR में 2800-3000 मेगावाट तक बिजली की खपत होती है.. power demand in Mumbai was at an all-time high on Wednesday...
अचानक बिजली की डिमांड बढ़ने के कारण कई इलाकों में पावर कट किया जाता है। बुधवार शाम आरे कॉलोनी स्थित आडाणी के पावर स्टेशन पर ट्रिप हुआ जिसके कारण मालाड, गोरेगांव, विक्रोली, अंधेरी, पवई और विलेपार्ले में कुछ देर तक पावर कट हुआ।
देश की आर्थिक राजधानी होने के कारण मुंबई में बिजली की कटौती अपेक्षाकृत कम या लगभग न के बराबर होती है। पिछले कुछ दशकों में MMR का विस्तार होने के कारण बिजली की खपत में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जो शहर रातभर जागता है उसे रोशन करने के लिए गुजरात, राजस्थान और आसपास के राज्यों से बिजली लेनी पड़ती है। MMR में महावितरण, टाटा पावर, अडाणी पावर और बेस्ट उपक्रम जैसी कंपनियां आपूर्ति करती हैं। करीब 1200 मेगावाट टाटा पावर और 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन अडाणी पावर करता है। करीब 2300 मेगावाट बिजली की व्यवस्था बाहर से होती है। इस तरह, MMR के लिए 4 हजार मेगावाट की व्यवस्था है... power demand in Mumbai was at an all-time high on Wednesday...
12 अक्टूबर 2020 के दिन मुंबई के कई हिस्सों में अचानक कुछ घंटों तक बिजली गुल हो गई थी। ऐसा संकट दोबारा 22 फरवरी 2022 को हुआ था। दरअसल, एमएमआर में बिजली की डिमांड बढ़ गई और जिन ट्रांसमिशन लाइनों से बाहर से बिजली आती हैं, उन पर लोड बढ़ गया। इसके कारण पावर फैल्योर हो गया। इस तरह के संकट से बचने के लिए 1981 में ही मुंबई के लिए आयलैंड सिस्टम की शुरुआत हुई थी। इसका मतलब है कि पूरे राज्य में बिजली का संकट हों, तब मुंबई की सप्लाई चेन को राज्य से अलग कर दिया जाए। बहरहाल, करीब 40 साल बाद भी इस आयलैंड सिस्टम के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।
आयलैंड सिस्टम में सबसे ज्यादा बोझ टाटा पावर के ट्रॉम्बे उत्पादन स्थल पर पड़ता है। यहां से करीब 930 मेगावाट बिजली तैयार होती है। इसके अलावा उरण में गैस आधारित पावर प्लांट है जिसकी उत्पादन क्षमता करीब 600 मेगावाट की है, लेकिन 150 मेगावाट के करीब ही उत्पादन हो रहा है। आडाणी पावर द्वारा डहाणू के थर्मल प्लांट में 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। कुल मिलाकर मुंबई की उत्पादन क्षमता शहर की डिमांड के हिसाब से आधी ही है। ट्रॉम्बे पावर प्लांट में करीब 750 मेगावाट बिजली आयातित कोयले से बनती है। कोयला महंगा होता जा रहा है, तो कंपनी की चिंता है कि दो साल बाद ये उत्पादन भी बंद हो सकता है... power demand in Mumbai was at an all-time high on Wednesday...
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