बिल्डर ने बुजुर्ग से पैसे लिए लेकिन कॉटेज नहीं दिया, अदालत ने 6 महीने के भीतर हर्जाना सहित घर देने का दिया आदेश

Builder took money from senior citizen but did not give cottage, court ordered to give house with damages within 6 months

बिल्डर ने बुजुर्ग से पैसे लिए लेकिन कॉटेज नहीं दिया, अदालत ने 6 महीने के भीतर हर्जाना सहित घर देने का दिया आदेश

मुंबई की उपभोक्ता अदालत ने एक बुजुर्ग को एक बड़ी राहत दी है। दरअसल इस बुजुर्ग ने कर्जत तहसील में एक कॉटेज बुक किया था लेकिन कई साल बीत जाने के बाद उन्हें घर नहीं मिला। इस वजह से उन्होंने उपभोक्ता अदालत का रुख किया था। अदालत ने 6 महीने के भीतर घर बनाकर देने का आदेश दिया है।

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से 75 वर्षीय बुजुर्ग को राहत मिली है। आयोग ने निजी ट्रस्ट को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह छह महीने में बुजुर्ग को कॉटेज बना कर दे दे। शिकायतकर्ता बुजुर्ग पिछले दस साल से अपना कॉटेज पाने का प्रयास कर रहा था। बुजुर्ग से पैसा लेकर भी ट्रस्ट कॉटेज बनाकर देने में टालमटोल कर रहा था। आयोग ने निजी ट्रस्ट से कहा है कि कॉटेज का निर्माण कार्य छह महीने में पूरा करे अन्यथा बुजुर्ग से कॉटेज के लिए ली गई 16 लाख 50 हजार रुपये की रकम के साथ ही उसे 12 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होगा। आयोग के प्रेसिडेंट एस. पी. तावड़े और न्यायिक सदस्य ए. जेड. ख्वाजा की पीठ ने 75 वर्षीय विजय कुमार देशपांडे की शिकायत पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है...Builder took money from senior citizen...

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डोंबिवली निवासी देशपांडे ने कर्जत तहसील में सीनियर सिटीजन विलेज स्किम के तहत एक कॉटेज बुक किया था। ट्रस्ट की इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए 500 से 750 वर्गफुट क्षेत्रफल का कॉटेज बनाया जाना था। देशपांडे ने वर्ष 2013 में एक लाख रुपये में कॉटेज की बुकिंग कराई थी। अनुबंध के तहत उन्होंने कॉटेज के लिए 16 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान भी कर दिया...Builder took money from senior citizen...

ट्रस्ट व कॉटेज का निर्माण करनेवाले गणपत जाधव ने वर्ष 2015 तक कॉटेज का कब्जा देने का आश्वासन दिया था। लेकिन कई वर्षों बाद भी देशपांडे को कॉटेज नहीं मिला। उन्होंने ट्रस्ट को नोटिस भेज कर अपना पैसा वापस मांगा, लेकिन ट्रस्ट टालमटोल करने लगा। इसके बाद देशपांडे ने आयोग में शिकायत दर्ज किय़ा। ट्रस्ट और जाधव का कहना था कि मजदूरों की कमी व दूसरे विवाद के कारण निर्माण कार्य में विलंब हुआ है। हालांकि आयोग ने ट्रस्ट को सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी माना। छह महीने में कॉटेज का कब्जा देने या 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूली गई रकम को लौटाने का निर्देश दिया। साथ ही मानसिक पीड़ा के लिए एक लाख रुपये और 25 हजार रुपये का मुकदमा खर्च भी देने को कहा है...Builder took money from senior citizen...

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