कांग्रेस ने यूं फंसा दिया पेंच... उप चुनाव निर्विरोध कराने की कोशिश में सीएम
Congress trapped the screw like this… CM in an attempt to get the by-election unopposed
विधानसभा सीटों 'कसबा' और 'चिंचवड' के लिए होने वाले उपचुनाव को निर्विरोध कराने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जोरदार कोशिश कर रहे हैं। यह दोनों सीटें पुणे जिले की हैं और बीजेपी के विधायकों के निधन के कारण खाली हुई हैं। इसी वजह से इन दोनों सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है। बीजेपी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वहीं शिवसेना और कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़ी हैं।
मुंबई: राज्य की दो विधानसभा सीटों 'कसबा' और 'चिंचवड' के लिए होने वाले उपचुनाव को निर्विरोध कराने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जोरदार कोशिश कर रहे हैं। यह दोनों सीटें पुणे जिले की हैं और बीजेपी के विधायकों के निधन के कारण खाली हुई हैं। इसी वजह से इन दोनों सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है। बीजेपी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वहीं शिवसेना और कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़ी हैं। वहीं, एनसीपी ने अब तक अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं की है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी में चिंचवड की सीट एनसीपी के खाते की है और कसबा सीट पर कांग्रेस अपना दावा कर रही हैं।
इधर शिवसेना भी चिंचवड की सीट एनसीपी से मांग रही है। इस सारे चुनावी समीकरण के बीच खबर है कि दोनों सीटों पर निर्विरोध चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी के दोनों घटक दलों एनसीपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को फोन कर चुनाव में अपने उम्मीदवार न उतारने का आग्रह किया है। खबरों के मुताबिक शिंदे ने एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, एनसीपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार, एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील तथा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले से फोन पर इस बारे में बात की है। कांग्रेस पुणे की कसबा सीट से अपना उम्मीदवार उतारने पर अड़ी है। इस बारे में मुख्यमंत्री शिंदे ने मीडिया से कहा कि हमारा काम विपक्ष से आग्रह करने का था। अब क्या फैसला लेना है, यह उनका अधिकार है।
इधर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी फेसबुक पर एक पत्र जारी कर महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा और अंधेरी उप चुनाव का हवाला देते हुए दोनों सीटों पर होने वाले उप चुनाव के निर्विरोध कराने की अपील की है। राज ठाकरे ने कहा कि अंधेरी उपचुनाव में जो बड़प्पन बीजेपी ने दिखाया था, वैसा ही अब महा विकास आघाडी को दिखाना चाहिए, लेकिन बीजेपी ने कसबा सीट से मुक्ता तिलक के परिजन का टिकट नकार कर राज ठाकरे की अपील को बेअसर कर दिया है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कसबा सीट पर निर्विरोध चुनाव के संदर्भ में मुख्यमंत्री का फोन आया था। मैंने उनसे कहा था कि इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन बीजेपी का उम्मीदवार घोषित होने के बाद चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि बीजेपी ने अपनी दिवंगत विधायक मुक्ता तिलक के परिवार से किसी को उम्मीदवारी नहीं दी है। इसलिए कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी। सोमवार या मंगलवार तक हमारा उम्मीदवार नामांकन दाखिल करेगा।
जहां तक चिंचवड सीट का सवाल है, वह सीट एनसीपी की है। उस सीट के बारे में वही फैसला ले सकती है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि दोनों सीटों पर चुनाव तो होगा। कसबा सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। चिंचवड सीट के लिए शिवसेना भी आग्रह कर रही है। कौन चुनाव लड़ेगा, इसका फैसला आज-कल में हो जाएगा। यह तय है कि विधानसभा की दोनों सीटों के उपचुनाव में भी महा विकास आघाडी ही जीतेगी।
शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि विधानसभा की दोनों सीटों के उप चुनाव निर्विरोध कराने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार को पहल करनी चाहिए, वह हम सबके नेता हैं। उप चुनाव निर्विरोध कराने की महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा है, जो बीच में खंडित हो गई थी, जिसे पवार ने ही फिर से शुरू कराया था।
बीजेपी के लिए कसबा सीट पर मुश्किल सिर्फ निर्विरोध चुनाव होना ही नहीं है, बल्कि मुक्ता तिलक के परिजन को टिकट न देना और उनकी जगह किसी ब्राह्मण को भी उम्मीदवार न बनाना एक नई चुनौती पेश कर रहा है। जानकार बताते हैं कि कसबा सीट के जातीय समीकरण में मराठा और ओबीसी 35 प्रतिशत, ब्राह्मण समाज 25 से 30 प्रतिशत और बाकी अन्य समाज हैं। यहां का ब्राह्मण समाज बीजेपी को मतदान करता रहा है। इस बार बीजेपी द्वारा गैर ब्राह्मण उम्मीदवार दिए जाने से नाराजगी है।
बीजेपी ने चिंचवड सीट पर दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह पहली बार विधायक का चुनाव लड़ रही हैं। वहीं कसबा सीट पर हेमंत रासने को उम्मीदवार बनाया है। रासने पुणे महानगरपालिका में बीजेपी के चार बार नगरसेवक, दो बार स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे हैं।

