नारायण राणे की आत्मकथा आने की खबर से ही कई नेताओं के छूटे पसीने

नारायण राणे की आत्मकथा आने की खबर से ही कई नेताओं के छूटे पसीने

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे की आत्मकथा आने की खबर से ही राज्य के कई दिग्गज नेताओं के पसीने छूटने लगे हैं। इस आत्मकथा में कई ऐसे पन्ने होंगे, जिनमें बड़े नामों के चेहरे बेनकाब होंगे। एक मराठी न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान राणे ने कहा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा तैयार कर ली है। राणे की आत्मकथा का विमोचन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस करेंगे।

नारायण राणे के राजनीतिक करियर की शुरूआत 1972 में शिवसेना से हुई। राणे 1 फरवरी 1999 से 17 अक्टूबर 1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद राणे और शिवसेना के बीच धीरे-धीरे मनमुटाव बढ़ने लगा। आखिरकार 2005 में राणे ने शिवसेना को ‘जय महाराष्ट्र’ बोल दिया। शिवसेना छोड़ने के बाद राणे ने कांग्रेस का दामन थामा। कांग्रेस ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया।

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राणे ने अपनी आत्मकथा में शिवसेना छोड़ने के कारणों का जिक्र किया है। बातचीत के दौरान राणे ने बताया कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे किस तरह से शिवसैनिकों को परेशान करते थे उसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा में किया है। साथ ही उन्होंने सफाई दी कि उद्धव से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, उनके बीच सिर्फ वैचारिक मतभेद हैं। आत्मकथा में उन्होंने शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में जाने और कांग्रेस छोड़ अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष की स्थापना के बारे में विस्तार से लिखा है।

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