नई दिल्ली : मानसून के पैटर्न में बदलाव; मेघालय में 48% कम बारिश वहीं राजस्थान में 81 फीसदी ज्यादा बारिश
New Delhi: Change in monsoon pattern; 48% less rain in Meghalaya while 81% more rain in Rajasthan
जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के पैटर्न में बदलाव आया है। इस साल भी मानसून का रुख बिलकुल बदला हुआ है। जहां बरसों से बादलों के साये में जीने वाले मेघालय जैसे इलाके में अब तक 48% तक कम बारिश हुई है, वहीं राजस्थान जैसे सूखे इलाके में सामान्य से 81 फीसदी तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई हैं। बारिश के इस उलटफेर ने खेती से लेकर जल सुरक्षा और जैव विविधता तक, हर मोर्चे पर खतरे की घंटी बजा दी है।
नई दिल्ली : जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के पैटर्न में बदलाव आया है। इस साल भी मानसून का रुख बिलकुल बदला हुआ है। जहां बरसों से बादलों के साये में जीने वाले मेघालय जैसे इलाके में अब तक 48% तक कम बारिश हुई है, वहीं राजस्थान जैसे सूखे इलाके में सामान्य से 81 फीसदी तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई हैं। बारिश के इस उलटफेर ने खेती से लेकर जल सुरक्षा और जैव विविधता तक, हर मोर्चे पर खतरे की घंटी बजा दी है। और साफ बता दिया है कि जलवायु परिवर्तन अब दूर की चेतावनी नहीं, हमारे दरवाज़े पर खड़ा सच है।
मौसम विभाग की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक पिछले 3 दशकों में भारी बारिश दर्ज करने वाले राज्य जैसे मेघालय, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में बारिश में काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में बारिश में कमी आई है। वहीं मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अध्ययन के मुताबिक आने वाले समय में मानसून के पैटर्न में ये बदलाव और अधिक दिखाई देगा। राजस्थान में 2020-2049 के बीच मानसूनी बारिश में 35 फीसदी तक बढ़ोतरी का अनुमान है।
पूर्वोत्तर भारत में स्थित मेघालय जिसका अर्थ ही है ‘बादलों का घर’, में अब बादल बरसना कम कर चुके हैं। यह राज्य दुनिया के सबसे ज्यादा बारिश वाली दो जगहों मासिनराम और चेरापूंजी के लिए जाना जाता रहा है। यहां की 83 प्रतिशत आबादी खेती के लिए बारिश पर निर्भर है। लेकिन यहां लगातार घटती बारिश ने चिंता बढ़ा दी है। 1 जून से 4 अगस्त तक के अब तक के मानसून सीजन में यहां सामान्य से 48 फीसदी कम बारिश हुई है। वहीं अरुणाचल प्रदेश में 42 फीसदी और असम में 39 फीसदी तक कम बारिश दर्ज हुई है। इसकी तुलना में इसी मानसूनी सीजन के दौरान तुलनात्मक तौर पर सूखे राज्य झारखंड में 46 फीसदी और राजस्थान में सामान्य से 81 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की जा चुकी है।

