childhood
<% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<% if(node_description!==false) { %> <%= node_description %>
<% } %> <% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
Read More... धारावी के बच्चों का बचपन छिन गया; क्या पुनर्विकास के बाद भी इन बच्चों का खोया बचपन वापस मिलेगा?
Published On
By Online Desk
खेल के मैदानों और खुली जगहों की कमी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव, अस्वच्छ परिस्थितियाँ, प्रदूषण और उसके कारण बिगड़ती स्वास्थ्य समस्याएँ, गरीबी, भविष्य की चिंता, आर्थिक संकट के कारण बाल श्रम, और भी कई समस्याएँ है। धारावी के बच्चों का बचपन छिन गया है। क्या पुनर्विकास के बाद भी इन बच्चों का खोया बचपन वापस मिलेगा? यही सवाल माता-पिता और धर्मार्थ संगठन पूछते रहे हैं। टाटा हॉस्पिटल ने बच्चों में कैंसर के इलाज के लिए पांच संबद्ध केंद्रों में सुविधाएं प्रदान करने का लिया निर्णय...
Published On
By Online Desk
टाटा हॉस्पिटल के माध्यम से हर साल खारघर, गुवाहाटी, वाराणसी, विशाखापत्तनम और चंडीगढ़ के अस्पतालों में 4,000 से अधिक मरीजों का इलाज किया जाता है। चंडीगढ़ और विशाखापत्तनम में सिर्फ 100 बच्चों के इलाज की सुविधा है। लेकिन अधिक बच्चों को इलाज मिल सके, इसके लिए टाटा हॉस्पिटल ने कमर कस ली है और सभी संबद्ध केंद्रों में बाल रोगियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने का फैसला किया है। फिलहाल यह सुविधा छह केंद्रों पर उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही अन्य पांच केंद्रों पर भी यह सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. वाकोला इलाके में बचपन के प्यार से नहीं हुई शादी... कर ली आत्महत्या !
Published On
By Online Desk
गर्लफ्रेंड की शादी किसी और से होने से युवक नाराज था, इसी वजह से उसने गला काटकर आत्महत्या कर ली। मामले की अधिक जांच पुलिस द्वारा की जा रही है।आत्महत्या करने वाले युवक का नाम सर्वेश जायसवाल (25) है। सर्वेश ड्राइवर की नौकरी करता था। पालघर/ भारी बैग का दबाव... किताबों के बीच सिसकते बचपन!
Published On
By Online Desk
किताबों के बीच सिसकते बचपन ने शिक्षा की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है। एक छोटे बच्चे के लिए दस-बारह किताबें रोज स्कूल ले जाना और उन्हें पढ़ना कठिन होता है, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि भारी बैग के दबाव के कारण बच्चे गर्दन, पीठ दर्द का तो शिकार हो ही रहे हैं, साथ ही बस्ते के बढ़ते अनावश्यक बोझ से बच्चे मानसिक रूप से कुंठित भी हो रहे हैं। 