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मुंबई: दिवाली से पहले वर्सोवा ब्रिज के पास शिफ्ट किया जाएगा दहिसर टोल नाका

मुंबई: दिवाली से पहले वर्सोवा ब्रिज के पास शिफ्ट किया जाएगा दहिसर टोल नाका महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दहिसर टाेल नाके का हल निकाल दिया है। यह टोल नाका दिवाली से पहले वर्सोवा ब्रिज के पास शिफ्ट किया जाएगा। दहिसर टोल नाके के हटने से मुंबई जाने में करीब 30 मिनट समय बचेगा। तो वहीं मुंबई में प्रवेश करने वाले लाखों वाहन चालकों और मीरा-भाईंदर के 15 लाख से अधिक स्थानीय नागरिकों को आखिरकार बड़ी राहत मिलेगी। शिंदे के दखल से सुझले दहिसर टोल नाके पर मुंबईकरों के लिए बड़े दिवाली गिफ्ट के तौर पर देखा जा रहा है।
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मुंबई : मनपा ने समुद्र के पानी को मीठा करने को फिर से निकाला टेंडर... वर्सोवा में लगेगा समुद्र का पानी मीठा करने का प्रोजेक्ट

मुंबई : मनपा ने समुद्र के पानी को मीठा करने को फिर से निकाला टेंडर... वर्सोवा में लगेगा समुद्र का पानी मीठा करने का प्रोजेक्ट केंदीय मंत्री पीयूष गोयल के उत्तर मुंबई से सांसद चुने जाने के बाद इस प्रोजेक्ट की जरूरत को देखते हुए दोबारा इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का निर्देश दिया। मनपा ने इसी के चलते समुद्र का पानी मीठा करने का दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। मनपा ने इस बार मनोरी की जगह वर्सोवा में समुद्र का पानी मीठा करने का प्लांट शुरू करने का निर्णय लिया है।
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मुंबई : मानसून के बाद कोस्टल रोड के वर्सोवा से दहिसर कॉरिडोर के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण

मुंबई : मानसून के बाद कोस्टल रोड के वर्सोवा से दहिसर कॉरिडोर के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण बीएमसी को उम्मीद है कि मानसून के बाद कोस्टल रोड के वर्सोवा से दहिसर कॉरिडोर पर काम शुरू हो जाएगा और सरकार ने बीएमसी से कहा है कि वह संबंधित अधिकारियों से जल्द ही इस परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का अधिग्रहण करे। इनमें से एक भूमि खंड वर्सोवा के आराम नगर में म्हाडा का लेआउट है। हालांकि, बीएमसी और म्हाडा ने अभी तक किरायेदारों के पुनर्वास को अंतिम रूप नहीं दिया है।
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बांद्रा से वर्सोवा तक समुद्र के नीचे सुरंग बनाने का आग्रह

बांद्रा से वर्सोवा तक समुद्र के नीचे सुरंग बनाने का आग्रह जुहू के निवासी सरकार से पुल के बजाय बांद्रा से वर्सोवा तक समुद्र के नीचे सुरंग बनाने का आग्रह कर रहे हैं, ताकि मौजूदा समुद्र और खुले क्षितिज के दृश्य को बाधित न किया जा सके और साथ ही पर्यावरण को भी बचाया जा सके। निवासियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) भी दायर की थी, जिसे दस्तावेजों की कमी का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था। 
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